Basant Panchami (Saraswati Puja) 2020 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Mantra: सरस्वती पूजा माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की विशेष पूजा और आराधना की जाती है। सरस्वती पूजा उत्सव के तौर पर भारत के अलावा नेपाल और बांग्लादेश में भी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके साथ ही सरस्वती पूजा के दिन भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा भी की जाती है। शास्त्रों में सरस्वती पूजा को श्रीपंचमी के नाम से भी जाना जाता है।
सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त: सरस्वती पूजा के दिन देवी सरस्वती की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त (पंचमी तिथि) सुबह 10 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक है। यानि मां सरस्वती की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 01 घंटा 49 मिनट तक रहेगी। इसके साथ ही पंचमी तिथि का समापन 30 जनवरी को दोपहर 01 बजकर 18 मिनट पर होगा।
कथा: सरस्वती पूजा की प्रचलित कथा के अनुसार इस संसार की रचना के समय भगवान विष्णु की आज्ञा पाकर ब्रह्मा जी ने अन्य जीवों समेत मनुष्य की भी रचन की थी। कहते हैं कि इससे संतुष्ट नहीं थे, उन्हें ऐसा आभास हुआ कि कुछ कमी रह गई है जिससे चारों ओर शांति का वातावरण है। जिसके बाद ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से आज्ञा पाकर अपने कमंडल से जल का छिड़काव किया। ऐसा करते ही पृथ्वी पर कंपन होने लगा। फिर पेड़ों के बीच से एक देवी प्रकट हुई। जिसके एक हाथ में वीणा और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। इसके अलावा अन्य दो हाथों में पुस्तक और मोतियों की माला थी। जिसे देखकर ब्रह्मा जी ने वीणा बजाने का अनुरोध किया। ब्रह्मा जी के अनुरोध पर जैसे ही देवी ने वीणा बजाना शुरू किया, पूरे संसार के सभी प्राणियों को बोलने की क्षमता का विकास हुआ। समुद्र कोलाहल करने लगा। हवा में सरसराहट होने लगी। यह सब देखकर ब्रह्मा जी ने देवी को वाणी की देवी का नाम दिया। इसके बाद से ही सरस्वती को वीणावादिनी, वाग्देवी, बगीश्वरी के अन्य नामों से पूजा जाता है।
विधि: देवी सरस्वती की पूजा के लिए सबसे पहले सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें। इसके बाद पूजा स्थल पर सरस्वती की तस्वीर या प्रतिमा सामने रखें। फिर इसके बाद कलश की पूजा के बाद नवग्रह की पूजा करें। इसके बाद मां सरस्वती की पूजा करें। देवी सरस्वती की पूजा करते वक्त उन्हें विधिवत आचमन और स्नान कराएं। फिर देवी को श्रंगार की वस्तुएं अर्पित करें। सरस्वती देवी को सफ़ेद वस्त्र अर्पित करें। प्रसाद के तौर पर खीर अथवा दूध से बनी वस्तुएं चढ़ाएं। संगीत से जुड़े व्यक्ति माता सरस्वती की पूजा के बाद अपने साज की पूजा करें और देवी को बांसुरी भेंट करें।