हिंदू पंचाग के अनुसार हर वर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विद्या और बुद्धि की देवी माता सरस्वती की आराधना का दिन होता है। इसी उपासना के दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है। सरस्वती माता को मां शारदा के नाम से भी जाना जाता है। मध्यप्रदेश के चित्रकूट से लगे सतना जिले में मैहर शहर में 600 फीट की ऊंचाई वाली त्रिकुटा पहाड़ी पर माता शारदीय विराजती हैं। इस मंदिर को मैहर देवी के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 1 हजार सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है।
आंध्र प्रदेश के श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर के लिए मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद इसी स्थान पर वेदव्यास ने देवी सरस्वती की आराधना की थी। देवी ने इसी स्थान पर व्यास जी को आदेश दिया और रेत से भरी तीन मुठ्ठियों रखने के लिए कहा। चमत्कार के बाद उस स्थान पर रेत देवी सरस्वती, लक्ष्मी और काली की प्रतिमा में बदल गई। श्रृंगेरी देवी का मंदिर माता शारदा का सबसे लोकप्रिय माना जाता है। इसे शरादाम्बा मंदिर भी कहा जाता है। ज्ञान और कला की देवी को समर्पित मंदिर 7वीं शताब्दी में बनाया गया था। मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि इस मंदिर में पहले चंदन की मूर्ति स्थापित थी और उसके बाद इसे सोने और पत्थर की मूर्ति से बदल दिया गया।
पुरा तमन सरस्वती मंदिर इंडोनेशिया के बाली में स्थित है। बाली के उबुद में सरस्वती मंदिर स्थित है। ये इंडोनेशिया के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में बना कुंड यहां का प्रमुख आकर्षण है। राजस्थान के पुष्कर में स्थिक ब्रह्मा मंदिर दुनिया का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर माना जाता है। ब्रह्मा मंदिर से कुछ दूर पहाड़ी पर देवी सरस्वती का मंदिर स्थित है। माना जाता है कि देवी सरस्वती के श्राप के कारण ही पुष्कर में ब्रह्मा जी का मंदिर है। केरल के कोट्टयम का सरस्वती मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जो माता सरस्वती को समर्पित है। इस मंदिर को दक्षिण का मूकाम्बिका के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में देवी की मूर्ति पूर्व दिशा की तरफ है।


