Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ayodhya case/Babri case) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई मंगलवार से शुरू हो गई है। इस मामले को लेकर संविधान पीठ सुनवाई कर रही है, जिसकी अगुवाई खुद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे हैं। हिंदू धर्म में अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि माना गया है। जिस स्थान को लेकर विवाद चल रहा है, उसे लेकर माना जाता है कि उसी स्थान पर श्री राम का जन्म हुआ था और उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मन्दिर स्थापित था। रामचरित मानस के अनुसार त्रेतायुग में अधर्म को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु ने राम के रूप में यहां अवतार लिया था। राक्षसों का नाश कर उन्होंने धर्म की स्थापना की। अयोध्या में आज भी कई ऐसे मंदिर हैं जिनका संबंध भगवान राम से बताया जाता है…

– अयोध्या में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है नागेश्वरनाथ। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि इसका निर्माण भगवान राम के पुत्र कुश ने किया था। इसके पीछे पौराणिक कथा है कि एक बार कुश जब सरयू नदी में स्नान कर रहे थे तो संयोगवश उनका बाजूबंद नदी में गिर गया, जिसे एक नागकन्या ने उठा लिया। क्योंकि वह नागकन्या भगवान शिव की भक्त थीं। इसलिए उस नागकन्या के लिए कुश ने भगवान शिव के इस मंदिर का निर्माण करवाया।

– छोटी देव काली मंदिर का संबंध भगवान राम और देवी सीता के विवाह से है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब माता सीता विवाह करके आईं तो अपने साथ गिरिजा देवी की एक मूर्ति भी साथ लाई थीं। जिस मूर्ति की स्थापना के लिए राजा दशरथ ने इस स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया दिया। जहां देवी सीता गिरिजा माता की पूजा किया करती थीं।

– हनुमान गढ़ी का हनुमान मंदिर अयोध्या के प्रमुख मंदिरों में से एक है। माना जाता है कि अयोध्या की रक्षा के लिए भगवान राम ने इस स्थान पर हनुमानजी को विराजमान रहने के लिए कहा था। हनुमानजी के मंदिर में माता अंजनी की प्रतिमा है, जिनकी गोद में भगवान हनुमान बाल रूप में विराजमान हैं।

–  पौराणिक काल में अश्वमेध यज्ञ का कई बार जिक्र सुनने को मिलता है। रामायण में भी भगवान राम के अश्वमेध यज्ञ का जिक्र हुआ है। मान्यता है कि जिस स्थान पर भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ संपन्न किया था उसी स्थान पर एक मंदिर बना है। जिसे कालाराम का मंदिर नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा काले बालू पत्थर की है। इस मंदिर में भगवान राम की मूर्ति के अलावा उनके भाई, हनुमान, देवी सीता और गुरुजन की प्रतिमाएं भी स्थापित है। इस मंदिर का कपाट साल में केवल एक दिन कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवप्रबोधिनी के दिन खोला जाता है।