Auspicious Raj Yog in Kundali: आपने अक्सर लोगों को यह बोलते हुए देखा होगा कि उस व्यक्ति की कुंडली में राजयोग है। आखिर कभी आपने सोचा है यह राजयोग क्या होता है। दरअसल कुंडली में ग्रह कुछ ऐसी स्थिति में विराजमान होते हैं, जो राजयोग का निर्माण होता है। जिनकी जन्मकुंडली में यह राजयोग बनते हैं वह व्यक्ति सामान्य से परिवार में भी जन्म लेने के बाद अकूत धन- संपत्ति का मालिक बनता है। साथ ही वह राजसुख भोगता है। साथ ही समाज में उसको मान- सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। जैसे अभी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एक शिंदे हैं। इनका जन्म एक सामान्य से परिवार में हुआ और अचानक से इनको मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल गई। आइए जानते हैं इन राजयोगों के बारे में…

दिव्य योग: 
वैदिक ज्योतिष के अनुसार जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में गुरु स्वराशि यानी धनु या मीन में स्थित हों या अपनी उच्च राशि के केंद्र स्थान में मौजूद हों तो दिव्य योग बनता है। इस योग वाले व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा बहुत ऊंची हो जाती है। व्यक्ति शिक्षा सम्बन्धी कार्य या प्रवचन करता है। लोग उससे सलाह लेने आते हैं। साथ ही वह समाज में मान- सम्मान प्राप्त करता है।

शश राजयोग:
वैदिक ज्योतिष अनुसार किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में लग्न से अथवा चंद्रमा से केंद्र के स्थानों में शनि ग्रह स्थित हो। अर्थात शनि यदि किसी कुंडली में लग्न या चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें स्थान में तुला, मकर या कुंभ राशि में स्थित हो तो ऐसी जन्मकुंडली में शश योग बनता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग बनता है वह अपने जीवन में धनवान बनता है। ऐसा व्यक्ति राजनीतिक क्षेत्र में भी शीर्ष पदों तक पहुंचता है और नाम कमाता है।

जन्मकुंडली की यह स्थिति भी व्यक्ति को बनाती है धनवान:

  • वैदिक ज्योतिष अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली के पंचम भाव में बुध की राशि कन्या या मिथुन हो और उसमें शुभ ग्रह विराजमान हो, लाभ स्थान में चंद्र के साथ मंगल हो तो जातक बहुत धनवान होता है। ऐसा व्यक्ति सभी राजसुखों को प्राप्त करता है।
  • ज्योतिष शास्त्र अनुसार अगर किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली के दसवें स्थान का स्वामी वृषभ या तुला राशि में स्थित हो और शुक्र सातवें भाव का स्वामी हो तो ऐसे लोगों को किस्मत का धनी माना जाता है। ऐसे लोगों की कुंडली में दशम-सप्तम योग बनता है। ये लोग समाज में खूब पैसा और शौहरत कमाते हैं।
  • अगर जन्मकुंडली के पंचम भाव में गुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन हो, उसमें गुरु ग्रह स्थित हो और लाभ भाव में चंद्र के साथ बुध की युति हो तो ऐसा व्यक्ति अकूत धन- संपत्ति का मालिक होता है।