Astrology Tips: शादी का पवित्र बंधन बांधते समय दो परिवार हर जरूरी बातों की चर्चा करते हैं। विवाह के बंधन में बंधकर दो व्यक्ति पूरी जीवन भर के लिए एक-दूसरे के सुख-दुख के साथी बन जाते हैं। ऐसे में सभी जरूरी बातों को जांचा जाना जरूरी है। मगर कई बार आपने सुना होगा कि किसी व्यक्ति के मांगलिक होने के कारण उसकी शादी नहीं हो रही है या फिर विवाह में अड़चन आ जाती है। ज्योतिष अनुसार मंगल जब कुंडली के लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में होता है तब मंगल दोष लगता है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें और निवारण के उपाय –
क्या होता है मांगलिक दोष: विद्वानों का मानना है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में मंगल विराजमान होता है तो उसे मांगलिक करार दिया जाता है। बता दें कि कि मंगल दोष में लग्न और अष्टम भाव का दोष ज्यादा गंभीर माना गया है।
किस तरह लोगों को करता है प्रभावित: माना जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष होता है, उसके वैवाहिक जीवन में खलबली मच सकती है। दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि इस दोष से ग्रसित दंपति के बीच वैचारिक सामंजस्य नहीं बैठ पाता है। इस कारण गृहस्थी टूटने की कगार पर भी आ सकती है। इतना ही नहीं, मांगलिक लोग जरा-जरा सी बातों पर झुंझला जाते हैं। कहते हैं कि कुंडली में मंगल दोष होने पर व्यक्ति का स्वभाव हिंसक हो जाता है और बात-बात पर उन्हें गुस्सा आ जाता है।
क्या हैं निवारण के उपाय:
माना जाता है कि अगर मांगलिक व्यक्ति नियमित रूप से रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे तो मंगल दोष का प्रभाव कम हो जाता है। कहते हैं कि जिस व्यक्ति के ऊपर हनुमान जी की कृपा होती है, उसे मंगल दोष का सामना नहीं करना पड़ता।
वहीं, जिन दंपतियों की कुंडली में मंगल दोष होता है, उन्हें विद्वान अपने सिर के पास चांदी के बर्तन में जल रखकर सोने की सलाह देते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनके बीच का मतभेद कम होगा।
इसके अलावा, कई बार मंगली व्यक्ति की शादी तय होने पर पहले उसका विवाह घड़े, पेड़ या मूर्ति से कराया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से दंपति पर मंगल दोष का प्रभाव नहीं पड़ता है।