अहंकार का संबंध मन से है। कई बार यह अहंकार मन से बढ़कर व्यवहार तक पहुंच जाता है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि हर एक ग्रह अलग तरह का अहंकार पैदा करता है। इनमें वृहस्पति और चंद्रमा को अहंकार का प्रमुख कारक माना गया है। यानी कि जिस व्यक्ति की कुंडली में वृहस्पति और चंद्रमा की दशा खराब होती है, वह अहंकार का शिकार हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का भी अहंकार से संबंध बताया गया है। इसके अनुसार सूर्य वैभवशाली परंपरा और खानदान का अहंकार पैदा करता है। ऐसे स्थिति में व्यक्ति को अपनी पारिवारिक पृष्टभूमि पर अहंकार हो जाता है। मेष, सिंह और धनु राशि के जातक अधिकतर इस तरह के अहंकार का शिकार होते हैं। ज्योतिष के अनुसार सूर्य संबंधी अहंकार की वजह से संतान से जुड़ी समस्या हो जाती है।
जन्म कुंडली में चंद्रमा की दशा खराब होने पर गुण संबंधी अहंकार हो जाता है। ज्योतिष की मानें तो इस स्थिति व्यक्ति अपने गुणों पर अहंकार करने लगता है। व्यक्ति को अपने ‘क्लास’ पर अहंकार होने लगता है। कर्क, वृश्चिक और मीन के जातक इस अहंकार का ज्यादा शिकार होते हैं। माना जाता है कि चंद्रमा संबंधी अहंकार होने पर व्यक्ति की किस्मत पर एकदम उल्टा असर पड़ता है। इससे व्यक्ति की ‘क्लास’ छीन जाती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल की वजह से शक्ति संबंधी अहंकार हो जाता है। ऐसा व्यक्ति खुद को सर्वाधिक शक्तिशाली समझने लगता है। मंगल संबंधी अहंकार होने पर व्यक्ति के रिश्ते खराब हो जाते हैं। बुध की वजह से बुद्धि संबंधी अहंकार हो जाता है। इसके चलते धनहानि होने की बात कही गई है। ज्योतिष की मानें तो वृहस्पति की वजह से ज्ञान संबंधी अहंकार हो जाता है। इसके चलते व्यक्ति वाणी दोष का शिकार हो जाता है। जिससे रिश्ते खराब होने लगते हैं। व्यक्ति अकेला हो जाता है।
