Astro Tips: कई बार जीवन में बेवजह की रुकावटें, असफलता, आर्थिक तंगी या मानसिक तनाव हमें घेर लेते हैं। हम खूब मेहनत करते हैं लेकिन फिर भी सफलता हाथ नहीं लगती। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इसका एक कारण शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों का अशुभ प्रभाव भी हो सकता है। लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि शास्त्रों में इन दोषों से राहत पाने के लिए कुछ उपाय भी बताए गए हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि अगर आप भी शनि या राहु-केतु के बुरे प्रभावों का सामना कर रहे हैं, तो इससे बचने के लिए आपको कौन से उपाय करने चाहिए।
नीम का पौधा क्यों है खास?
हिंदू धर्म में नीम को केवल औषधीय दृष्टि से ही नहीं बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी बहुत पवित्र माना गया है। इसे ‘नीमाड़ी देवी’ का रूप भी कहा गया है। माना जाता है कि नीम के पेड़ की उपस्थिति मात्र से ही नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
नीम का पेड़ लगाने के लाभ
ज्योतिष शास्त्र में नीम का संबंध शनि, मंगल और केतु ग्रहों से बताया गया है। इन ग्रहों की स्थिति जब अशुभ होती है, तो जीवन में अकारण परेशानियां आने लगती हैं। ऐसे में नीम का पौधा इन दोषों को शांत करने में मदद करता है। खास बात यह है कि यदि कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो, तो नीम के पौधे की पूजा और सेवा करने से बहुत राहत मिल सकती है।
किस दिशा में लगाएं नीम का पौधा?
नीम का पौधा लगाने के लिए सबसे शुभ दिशा दक्षिण मानी जाती है। दक्षिण दिशा का संबंध भी शनि और मंगल से है। जब नीम का पौधा इस दिशा में लगाया जाता है, तो यह नकारात्मक शक्तियों को घर से दूर रखता है और बरकत को बढ़ावा देता है। यह भी माना जाता है कि लंबे समय से रुके हुए काम दोबारा शुरू हो जाते हैं।
नीम से जुड़े अन्य लाभकारी उपाय
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नियमित रूप से नीम के पेड़ पर जल अर्पित करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही इससे मंगल ग्रह के दोषों से छुटकारा मिल सकता है।
- ज्योतिष के अनुसार, नीम की माला पहनने से शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं। यह उपाय विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक है जिनकी कुंडली में शनि नीच या सप्तम भाव में स्थित है।
- नीम की लकड़ी से हवन करने से वास्तु दोष दूर होता है और घर में सुख-शांति आती है।
- नीम की पत्तियों से धूनी देने से नजर दोष और अन्य नकारात्मक शक्तियों का असर खत्म हो सकता है।
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