वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में अशुभ योग का निर्माण होता है तो उसका जीवन से सुख शांति का नाश हो जाता है। इंसान की कुंडली में कई शुभ और अशुभ योग ग्रहों के संयोग से बनते हैं। शुभ योग का जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वहीं अशुभ योग से जॉब और व्यापार में परेशानी बनी रहती है। करीबी लोगों से संबंध खराब हो जाते है और व्यक्ति को भटकना पड़ता है।
वैसे तो ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के शुभ और अशुभ योगों का वर्णन है, लेकिन हम आज बात करने जा रहे हैं गुरु चाण्डाल योग के बारें में, यह योग गुरु, राहु और केतु के मिलने से बनता है। गुरु चाण्डाल के बारे में सुनकर जातक के मन में भय और चिंता पैदा हो जाती है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। कुंडली का गुरु चांडाल दोष के क्या नुकसान हैं और इसे शांत करने के लिए क्या करना चाहिए, इसे जानते हैं।
गुरु चांडाल योग का प्रभाव: ज्योतिष शास्त्र में जिन अशुभ योगों की चर्चा की गई है, उसमे से एक है ‘गुरु चांडाल’ योग। इस योग को अत्यंत अशुभ योग मना गया है। जिस व्यक्ति की कुंडली में ‘गुरु चांडाल’ योग पाया जाता है। उसे शिक्षा, जॉब, बिजनेस, शादी विवाह आदि में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस अशुभ योग का उपाय जरुरी हो जाता है। जब व्यक्ति की कुंडली में गुरु चंडाल का योग का निर्माण होता है तो व्यक्ति सफलताओं के लिए संघर्ष करता है। धन की कमी उत्पन्न हो जाती है। व्यक्ति निराशा और नकारात्मकता से घिर जाता है। सुविधाओं और संसाधनों की कमी आने लगती है।
गुरु चांडाल योग का उपाय: ज्योतिष शास्त्र में गुरु चांडाल योग से बचाव के उपाय भी बताए गए हैं। इन उपायों को अपना कर इस अशुभ योग से बचा जा सकता है। ‘गुरु चांडाल’ योग के प्रभाव को कम करने के लिए माथे पर रोजाना केसर, हल्दी का तिलक लगाना चाहिए। गुरुवार को पीले वस्त्र पहनकर पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए। तथा गुरुजनों का आर्शीवाद प्राप्त कर उनका आदर करना चाहिए। इसके अलावा राहु के मंत्रों का जाप करें। साथ ही बृहस्पतिवार को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। यदि संभव हो तो केले का पौधा लगाएं और उसकी नित्य पूजा करें।