समय के बदलाव के अनुसार बच्चों की परवरिश करना थोड़ा अधिक मुश्किल होता जा रहा है। कई माता-पिता बच्चे की थोड़ी-सी परेशानी से भी घबरा जाते हैं। इसका उपाय करने के लिए वो अनेक तरीके अपनाते हैं लेकिन हमें जानने की जरुरत होती है कि क्यों एक बच्चा बार-बार बीमार हो जाता है। ज्योतिष विद्या के अनुसार अगर माता-पिता की कुंडली का सांतवा भाव कमजोर होने से बच्चे की सेहत खराब रहती है। इसके साथ ही माता-पिता के मुख्य ग्रह कमजोर होने से बच्चे भी कमजोर रहते हैं। माना जाता है कि माता-पिता की हर क्रिया का प्रभाव बच्चे की सेहत पर पड़ता है। जिन बच्चों के मुख्य ग्रह कमजोर होने से भी बच्चों की सेहत ठीक नहीं रहती है।

ज्योतिष विद्या के अनुसार माना जाता है कि बच्चे का बृहस्पति ग्रह और चंद्रमा लिवर और सांस की समस्याओं को प्रभावित करते हैं। यदि बच्चे में लोगों से मिलने का डर या वो मिलनसार नहीं है तो अवश्य ही वो किसी मानसिक पीड़ा से गुजर रहा हो सकता है। डॉक्टर की सलाह से पहले बच्चे की समस्या को जानने की कोशिश करें। इसके साथ ही अपने ग्रहों को मजबूत करें क्योंकि वो ही बच्चों की सेहत पर नकारात्मक असर डालते रहते हैं। ये सिर्फ शरीर और मानसिक रुप से बीमार नहीं करता है ये भाग्य को भी बीमार करना शुरु कर देते हैं।

तीन मुखी रुद्राक्ष या पांच मुखी रुद्राक्ष मुख्य ग्रहों को ठीक करने के सबसे सरल उपाय माने जाते हैं। इसके लिए 1 तीन मुखी रुद्राक्ष और 11 स्फटिक के दाने चांदी की चेन में बच्चों को पहनाएं। इसके साथ ही यदि बच्चे का वजन अधिक बढ़ा हुआ है तो इसके लिए बृहस्पति जिम्मेदार होता है और अधिक खाने की तरफ लालच बढ़ाता है। इसका सबसे सरल उपाय है कि नियमित रुप से नींबू पानी पीया जाए। शाम होने के बाद भारी खाने के सेवन पर रोक लगाएं। इसके साथ भोजन करते समय चौकड़ी में बैठें और हाथ से खाना खाएं। इसके साथ ही एक ओनेक्स रत्न जरुर धारण करें। शादी के बाद यदि वजन बढ़ जाता है तो इसके लिए पति-पत्नी पूर्व दिशा में सिर रखकर सोएं। इसके साथ ही मोटापा कम करने के लिए अनामिका उंगली में रांगे की अंगूठी पहने और इसे धारण करने का शुभ दिन रविवार होता है।