भगवान को शुक्रिया करना ही पूजा का अर्थ होता है। मनुष्य अपने स्वास्थ्य, खुशियों और संपन्नता के लिए पूजा करता है। प्रभु को धन्यवाद ज्ञापन करना ही पूजा का तात्पर्य माना जाता है। अपने ग्रहों के अनुसार पूजा करना लाभदायक माना जाता है, लेकिन मान्यताओं के अनुसार घर में मंदिर नहीं बनाया जाता है। यदि घर में मंदिर है तो अपने ईष्ट का चित्र या 6इंच से छोटी प्रतिमा का स्तापन करना चाहिए। पूजा के दौरान व्यक्ति का चेहरा उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पूजा करने से सभी को फल प्राप्त होता है, बिगड़े काम बनने लगते हैं। लेकिन कहीं आपने सुना है कि किसी का पूजा करने से अशुभ हो रहा है। पूजा करने से जो काम बन भी रहे थे वो भी बिगड़ने लगे। कई ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है कि उनपर किसी भी शुभ काम का असर नहीं होता है। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस ग्रह के प्रभाव के कारण पूजा करने से अशुभ होने लगता है।
बृहस्पति के खराब होने की स्थिति में पूजा करना शुभ माना जाता है, इससे पाप नहीं लगता है। पूजा करें लेकिन झूठी पूजा नहीं करनी चाहिए। पूजा का एक नियम होता है कि असत्य से सत्य की उत्पत्ति नहीं हो सकती है। यदि कुंडली में सिर्फ बुरे ग्रह ही हैं तब भी यदि ध्यान और मन से की गई पूजा से इंसान के भारी दोष और कष्ट मिट जाते हैं। इसके साथ ही यदि कुंडली में बृहस्पति और चंद्रमा के ठीक नहीं होने पर व्यक्ति चाहते हुए भी पूजा कर पाने में असफल हो जाता है। इसके साथ इन जातकों को नौकरी, प्रतिष्ठा, गृहस्थीऔर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं आती रहेंगी। इस हाल में व्यक्ति को किसी भी उपाय से लाभ हासिल नहीं होता है। ध्यानपूर्वक पूजा करने से ही लाभ होता है।
कुंडली में चंद्रमा के नीचे होने की स्थिति में पूजा करने से रोका जाता है। कई बार माना जाता है कि चंद्रमा के नीच की स्थिति में होने के कारण भगवान शिव की अराधना नहीं की जाती है, लेकिन ये मान्यताएं गलत हैं। पूजा बंद करना एक गलत धारणा मानी गई है, हमेशा ईश्वर की पूजा समर्पित भाव से ही करनी चाहिए। अष्टम में बृहस्पति के आने की स्थिति में कई बार व्यक्ति मन लगाकर पूजा नहीं कर पाता है। किसी भी प्रकार का अनुष्ठान को पूरा नहीं कर पाता है और हमेशा कष्टों से जूझता रहता है। घर में पूजा स्थान पर भगवान की फोटो या प्रतिमा का एक ही स्वरुप रखना चाहिए। इसके साथ ही अपने सभी ग्रहों को शांत रखने के लिए ईष्ट के सामने दीप जलाएं। घर में मंदिर नहीं पूजा का एक स्थान बनाएं।