Eight Mukhi Rudraksha: हिंदू धर्म में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है। वहीं शिव पुराण के मुताबिक रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से माना गया है। साथ ही इनको प्राचीन काल से ही आभूषण की तरह पहना गया है। शास्त्रों में 19 मुखी रुद्राक्ष का वर्णन मिलता है यहां हम बात करने जा रहे हैं, अष्टमुखी रुद्राक्ष के बारे में, जिसका संबंंध राहु- केतु और शनि ग्रह से माना जाता है। मान्यता है आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से इन तीनों ग्रहों के दोषों से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है आइए जानते हैं पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने के लाभ और पहनने की सही विधि…
जानिए कैसा होता है आठ मुखी रुद्राक्ष
आपको बता दें कि रु द्राक्ष के दाने पर जितनी धारियां या लाइन्स पड़ी होती हैं, वो उतने ही मुखी रुद्राक्ष कहलाता है। मतलब अगर रुद्राक्ष पर एक लाइन है तो वह एक मुखी रुद्राक्ष होगा। वहीं जिस रुद्राक्ष पर 8 धारियां पड़ी होती हैं, उसे अष्टमुखी रुद्राक्ष कहते हैं और ये मुख्य तौर पर नेपाल और इंडोनेशिया में पाये जाते हैं। रुद्राक्ष पेड़ पर पाये जाते हैं।
आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लाभ
आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से राहु- केतु और शनि दोष से मुक्ति मिलती है। मतलब जिन व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही हो, वो लोग आठमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। वहीं अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु अशुभ स्थित हैं। साथ ही किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष है, वो लोग भी आठ मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। वहीं आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से धन- संपत्ति की प्राप्ति होती है। साथ ही अगर आप शेयर मार्किट या किसी तरह के आयात-निर्यात से संबंध रखते हैं तो आप आठ मुखी रुद्राक्ष घारण कर सकते हैं।
अष्टमुखी रुद्राक्ष कैसे करें धारण
आठ मुखी रुद्राक्ष को गले में धारण कर सकते हैं। साथ ही इसको सोमवार के दिन धारणा करना शुभ रहेगा। वहीं पहले रुद्राक्ष को गाय के कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें और फिर शिवलिंग से स्पर्श करके धारण कर लें। वहीं
रुद्राक्ष को धारण करने से पहले इन मंत्रों का भी जाप करें…
शिव पुराण के अनुसार- ऊं हुं नमः।
पद्मपुराण के अनुसार- ऊं सः हुं नमः।
स्कंदपुराण के अनुसार- ऊं कं वं नमः।