Ashwin Month Start: आश्विन मास का शास्त्रों का विशेष महत्व बताया गया है। यह मास मां दुर्गा को समर्पित है। साथ ही इस महीने में पितृ पूजन और देव पूजन भी किया जाता है। इस महीने से सूर्य देव धीरे-धीरे कमजोर होने लगते हैं। साथ ही शनि देव और तमस का प्रभाव बढ़ता जाता है। इस महीने शारदीय नवदुर्गा पड़ती है। इस साल आश्विन मास 11 सितंबर यानि कि आज से शुरू हुआ है और 9 अक्टूबर तक रहेगा। आइए जानते हैं इस महीने क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
जानिए आश्विन मास का महत्व
वैदिक पंचांग के अनुसार आश्विन मास दो पक्षों में बंटा हुआ है। जिसमें कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष कहा जाता है। इसमें पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंड दान किया जाता है। साथ ही जिन लोगों की जन्मुकंडली में पितृ दोष होता है वो लोग सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितृ दोष की शांति करा सकते हैं। वहीं दूसरा शुक्ल पक्ष होता है, जिसमें नवरात्रि के व्रत रखे जाते हैं। इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इस मास में पितृों और मां दुर्गा दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पितरों की कृपा से घर में सुख- शांति का वास रहता है। साथ ही मां दुर्गा के आशीर्वाद से सभी कष्टों का नाश होता है। इस बार आश्विन मास में पितृपक्ष 10 सितंबर से 25 सितंबर तक रहेंगे। जबकि शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से प्रारंभ होंगे और 04 अक्टूबर को समाप्त होंगे। इसलिए इस मास का विशेष महत्व है।
जानिए इस महीने क्या नहीं करें
इस महीने कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। इस महीने दूध का प्रयोग वर्जित माना जाता है। साथ ही अधिक तैलीय भोजन नहीं करना चाहिए। बैंगन, मूली, मसूर की दाल, चना आदि का सेवन सही नहीं माना गया है। इस महीने करेला का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
जानिए इस महीने क्या करें
आश्विन मास में पूर्वजों का तर्पण और पिंड दान करना चाहिए। साथ ही जिस तिथि पर पूर्वज परलोक गए हो उस दिन श्राद्ध डालना चाहिए और ब्राह्राणों को भोजन कराना चाहिए। साथ ही यथाशक्ति दान- दक्षिणा देनी चाहिए। इस महीने नवरात्रि में व्रत रखना चाहिए। साथ ही मां दुर्गा की पूजा- अर्चना करनी चाहिए और दुर्गा शप्तसती का पाठ करना चाहिए। इस महीने गुड़ का सेवन कर सकते हैं।