Anant Chaturdashi 208, Ganesh Visarjan Vidhi: अनंत चतुर्दशी इस साल 23 सितंबर, दिन रविवार को है। अनंत चतुर्दशी पर श्री हरि यानी कि विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती है। शास्त्रों में इस पूजा का बड़ा ही महत्व बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति अनंत चतुर्दशी पर श्रद्धाभाव से विष्णु जी की आराधना करता है, उसे उसके पाप कर्मों से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन का भी विधान है। गणेश चतुर्थी से शुरू होने वाला गणेश उत्सव अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है। इस दिन गणपति बप्पा का झाकियां निकाली जाती हैं और उनकी प्रतिमा का पवित्र नदियों में विसर्जन किया जाता है। अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन की एक खास विधि बताई गई है।
गणेश विसर्जन की सही विधि: गणपति बप्पा का विसर्जन करने से पहले भगवान गणेश की आरती करें। इसके बाद उन्हें तिलक लगाकर, फल और मोदक चढ़ाकर मंत्रो का उच्चारण करें। अब भगवान गणेश को चढ़ाए गए फल और मिठाई को लोगों में बांट दें। पूजा स्थान से गणपति की प्रतिमा को उठाएं। साथ में फल, फूल, वस्त्र और मोदक रखें। इस पूजा में दीपक, धूप, पुष्प, चावल और सुपारी को एक लाल कपड़े में बांधकर रख लें। इसे विसर्जन के दौरान प्रयोग करें। भगवान गणेश की प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाने से पहले उद्वासना मंत्र का उचारण जरूर करें। ये भगवान गणेश के विसर्जन में बहुत आवश्यक माना गया है। मंत्र है- ‘यज्ञने यज्ञना मयाजनठ: थानी धर्मानी प्रधामा न्यासं, थेहा नाकम् माहिमान ससंचाम्ठे यात्रा पूर्वे साध्यासाम्ठी देवा…।’
शुभ मुहूर्त: गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है। इस साल 23 सितंबर, दिन रविवार को अनंत चतुर्दशी पड़ रही है। ज्योतिष शास्त्रों के जानकारों के अनुसार इस दिन गणेश विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार से है।
– प्रातः 8 बजे से 12 बजकर 30 मिनट तक।
– दोपहर 2 बजे से साढ़े तीन बजे तक।
– सायंकाल 6 बजकर 30 मिनट से रात्रि 11 बजे तक।