अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की आराधना की जाती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को अनंत चतुर्दशी व्रत किया जाता है। इस साल अनंत चतुर्दशी 1 सितंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी। कहते हैं कि अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही इस दिन अनंत सूत्र भी बांधा जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत सूत्र बांधने का महत्व बहुत अधिक है। शास्त्रों में भी अनंत सूत्र का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। अनंत सूत्र भगवान विष्णु यानी अनंत देव की कृपा से परिपूर्ण माने जाते हैं।

अनंत सूत्र का महत्व (Anant Sutra Importance/ Anant Sutra Significance)
शास्त्रों में ऐसा कहा जाता है कि अनंत सूत्र भगवान श्री विष्णु की कृपा प्रसाद स्वरूप हैं। अनंत चतुर्दशी का दिन शुभ होता है। इसलिए ही अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत सूत्र बांधे जाते हैं। मान्यता है कि अनंत सूत्र सभी परेशानियों को समाप्त करने वाले होते हैं। जिस व्यक्ति की कलाई पर अनंत सूत्र बंध जाता है। स्वयं भगवान श्री विष्णु उसकी रक्षा करते हैं।

ज्योतिषाचार्य का मानना है कि अनंत सूत्र बांधने से मनुष्य के जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का अंत हो जाता है। इस सूत्र के माध्यम से मनुष्य को दैवीय कृपा प्राप्त होती है। जिससे मनुष्य अपने जीवन में लगातार सफलताएं पाता चला जाता है। कहते हैं कि यह सूत्र समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ाता है। इसे पहनने वाला व्यक्ति समाज में लगातार यश कमाता चला जाता है।

जिस व्यक्ति के हाथ में अनंत सूत्र बन जाता है। उसकी जेब हमेशा नोटों से भरी रहती है। कहते हैं कि भगवान के अनंत स्वरूपों को याद करके बांधा हुआ यह धागा अपार धन देने वाला होता है। इसे बांधने से मनुष्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होती चली जाती है। अनंत सूत्र चमत्कारी होता है। अगर इसे सच्चे मन और श्रद्धा के साथ धारण किया जाए तो असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।

अनंत सूत्र बांधने की विधि (Anant Sutra Bandhne Ki Vidhi)
अनंत चतुर्दशी की पूजा के दौरान एक धागा लें। यह धागा सूती या रेशमी हो सकता है। इस धागे को हल्दी के पानी भिगोएं। जब यह धागा पीले रंग का हो जाए तो इसे पानी से निकाल लें। भगवान विष्णु के अनंत स्वरूपों को याद करते हुए इस धागे में 14 गाठें लगाएं। यह धागा पूजा के दौरान भगवान विष्णु के समक्ष रखें। विष्णु जी से प्रार्थना करें कि वह इस धागे के स्वरूप में हमारी रक्षा करें। अनंत चतुर्दशी की पूजा होने के बाद यह धागे पूजन स्थल से उठाएं और हाथ में बांध लें। पुरुषों को यह धागा दाहिनें हाथ में पहनना चाहिए। जबकि महिलाओं को यह धागा बाएं हाथ में पहनना चाहिए।