Akshaya Tritiya 2025 Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Gold Purchase Muhurat, Maa Lakshmi Aarti, Vrat Katha: हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। इस दिन बिना पंचांग देखे किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक काम किए जा सकते हैं। अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्तों में से एक माना जाता है। हर साल बैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाते हैं। इस दिन बिना कोई मुहूर्त देखे शुभ और मांगलिक काम किए जा सकते हैं। इस साल की अक्षय तृतीया काफी खास है, क्योंकि ग्रहों की स्थिति के हिसाब से गजकेसरी, मालव्य, लक्ष्मी नारायण, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ-साथ अक्षय योग का निर्माण हो रहा है। इस शुभ योगों में मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति हो सकती है। घर में सुख-शांति के साथ-साथ अथाह पैसे की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं अक्षय तृतीया के मौके पर कब खरीदें सोना-चांदी सहित अन्य चीजें। इसके साथ ही जानें पूजा विधि, मंत्र, कथा, क्या करें, क्या नहीं सहित अन्य जानकारी…
अक्षय तृतीया पर कब खरीदें सोना-चांदी। शहर के अनुसार अक्षय तृतीया पर शुभ मुहूर्त।अक्षय तृतीया कथा। अक्षय तृतीया आरती। अक्षय तृतीया विशेज
अक्षय तृतीया 2025 तिथि (Akshaya Tritiya 2025 Date)
बैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ- 29 अप्रैल 2025 को शाम 5 बजकर 31 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त- 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट
अक्षय तृतीया 2025 की तिथि- उदया तिथि के अनुसार, 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा।
अक्षय तृतीया पर सोना-चांदी के अलावा आप इन 5 चीजों को खरीद सकते हैं। इससे मां लक्ष्मी अति प्रसन्न हो सकती हैं। घर में सुख शांति बनी रहती है।
क्लिक करके जानें इन पांच चीजों के बारे में
अक्षय तृतीया के मौके पर कुछ काम करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही कई गुना अधिक पुण्य मिलता है।
मां लक्ष्मी-विष्णु जी की पूजा
अन्न, जल, वस्त्र, स्वर्ण आदि का दान करें।
तुलसी के पौधे में जल चढ़ाने के साथ दीपक जलाएं और परिक्रमा करें।
पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
मुख्य द्वार पर रंगोली, तोरण आदि लगाएं।
पितरों का तर्पण करना शुभ माना जाता है।
नया काम, व्यापार या फिर निवेश करने के लिए अक्षय तृतीया का दिन शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
ॐ लक्ष्मी नम:।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:।
ॐ लक्ष्मी नारायण नम:।
ॐ लक्ष्मी नारायण नमो नम:।
ॐ नमो भाग्य लक्ष्म्यै च विद्महे अष्ट लक्ष्म्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोद्यात’।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।
ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।
ॐ लक्ष्मी नमो नम:।
ॐ श्रीं श्रीये नम:।
आज अक्षय तृतीया पर दोपहर तक सोना सहित अन्य चीजों की खरीदारी का मुहूर्त बन रहा है। सुबह 05:41 से मुहूर्त आरंभ हो चुका है, जो दोपहर 02:12 तक है। इसके साथ ही शुभ चौघड़िया मुहूर्त की बात करें, तो सुबह 05:41 से 09:00 तक और फिर सुबह 10:39 से 12:18 तक रहेगा।
प्रातः मुहूर्त (शुभ) – 10:39 से 12:18
प्रातः मुहूर्त (लाभ, अमृत) – 05:41 से 09:00
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
शास्त्रों में अक्षय तृतीया के दिन किए जाने वाले 14 महादानों के बारे में बताया गा है।
अन्न दान, जल दान, वस्त्र दान, स्वर्ण दान, चांदी दान, भूमि दान, गौ दान, विद्या दान, औषधि दान, कन्या जान, गृह निर्माण में मदद, दीप दान और पुस्तक का दान
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।
तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।।
अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।
श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।
आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।।
उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।
गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।
मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।
कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।
आर्द्रां य करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।।
तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।।
य: शुचि: प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।
सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकाम: सततं जपेत् ।।
।। इति समाप्ति ।।
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
अक्षय तृतीया के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। साथ ही गंगाजल हाथ में लेकर व्रत का संकल्प ले। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर को पूजा की चौकी पर स्थापित कर लें। वहीं फिर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्ति पर अक्षत चढ़ाएं। फिर फूल या श्वेत गुलाब, धूप-अगरबत्ती इत्यादि से इनकी पूजा अर्चना करें। साथ ही नैवेद्य स्वरूप जौ, गेंहू या फिर सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि अर्पित करें। साथ ही अंंत में विष्णु और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। साथ ही अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी को गुलाबी फूल अर्पित करें। इसके अलावा नई स्फटिक की माला अर्पित करें। वहीं इस दिन ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं। ऐसा करने से आपको अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी।
दोहा
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
सोरठा
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥
दोहा
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी का मुहूर्त 29 अप्रैल 2025 को भी की जा सकती है। आज शाम 05:31 से शुरू होगा, जो 30 अप्रैल 2025 की दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर होगी।
अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।।
मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।।
विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।।
आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।4।।
बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।5।।
कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:।।6।।
प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन।
मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया:।।7।।
दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग शिशौ विषण्ण।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाह:।।8।।
इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं लभंते।
दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टराया:।।9।।
गीर्देवतैति गरुड़ध्वज भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति।
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै नमस्त्रि भुवनैक गुरोस्तरूण्यै ।।10।।
श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै।
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै।।11।।
नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म भूत्यै ।
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै।।12।।
सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्दानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षि।
त्व द्वंदनानि दुरिता हरणाद्यतानि मामेव मातर निशं कलयन्तु नान्यम्।।13।।
यत्कटाक्षसमुपासना विधि: सेवकस्य कलार्थ सम्पद:।
संतनोति वचनांगमानसंसत्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे।।14।।
सरसिजनिलये सरोज हस्ते धवलमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।।15।।
दग्धिस्तिमि: कनकुंभमुखा व सृष्टिस्वर्वाहिनी विमलचारू जल प्लुतांगीम।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिनाथ गृहिणी ममृताब्धिपुत्रीम्।।16।।
कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूरतरां गतैरपाड़ंगै:।
अवलोकय माम किंचनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयाया : ।।17।।
स्तुवन्ति ये स्तुतिभिर भूमिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते बुधभाविताया:।।18।।
अक्षय तृतीया के दिन सफेद चीज जैसे दूध, दही, शक्कर, खीर, मोती, शंख, सफेद कपड़ा आदि का दान करें। ऐसा करने से कुंडली में मन के कारक चंद्रमा की स्थिति मजबूत हो सकती है।
कर्मफलदाता शनि की स्थिति कुंडली में मजबूत करने के साथ साढ़े साती के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए काले तिल, सरसों का तेल, वस्त्र, अन्न, काला छाता आदि का दान करें।
दैत्यों के गुरु शुक्र की मजबूत करने के लिए सफेद चीजें जैसे दूध, दही, शक्कर, खरबूज, सत्तू, पानी, सफेद चंदन, इत्र आदि का दान करें। ऐसा करने से घर परिवार में सुख-शांति के साथ सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
कुंडली में देवताओं के गुरु बृहस्पति की स्थिति मजबूत करने के लिए पीले रंग के वस्त्र, मिठाई, केला, घी, चने की दाल आदि का दान करें। ऐसा करने से सुख-संपदा की प्राप्ति होती है।
कुंडली में ग्रहों के सेनापति मंगल की स्थिति को मजबूत करने के लिए अक्षय तृतीया के दिन लाल वस्त्र, मसूर की दाल, लाल चंदन, मिठाई, लाल फूल, ताम्रपत्र, मिट्टी का घड़ा आदि का दान करें।
बुध की स्थिति कुंडली में मजबूत करने के लिए अक्षय तृतीया के लिए चांदी, कांसे के बर्तन, हरे वस्त्र, मूंग की दाल, हरी सब्जियां आदि का दान करें। ऐसा करने से व्यापार, नौकरी में वृद्धि होती है। शिक्षा के क्षेत्र में भी लाभ मिलेगा।
अगर आपकी कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर है, तो अक्षय तृतीया के दिन लाल कपड़ा, गेहूं, गुड़, दूध, तांबा, घी, सत्तू, मसूर दाल आदि का दान करें। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,भण्डार कुबेर भरे॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,सब जय जय कार करैं॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
गदा त्रिशूल हाथ में,शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,धनुष टंकार करें॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
भाँति भाँति के व्यंजन बहुत बने,स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,साथ में उड़द चने॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
बल बुद्धि विद्या दाता,हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े
अपने भक्त जनों के,सारे काम संवारे॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
मुकुट मणी की शोभा,मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती,घी की जोत जले॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
यक्ष कुबेर जी की आरती,जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत प्रेमपाल स्वामी,मनवांछित फल पावे॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये, धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख सम्पत्ति दाता॥
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता॥.
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता॥
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता॥
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता॥
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
मैया जो कोई जन गाता॥
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दोहा
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यम्, नमस्तुभ्यम् सुरेश्वरि। हरिप्रिये नमस्तुभ्यम्, नमस्तुभ्यम् दयानिधे।।
पद्मालये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं च सर्वदे। सर्व भूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं।।
पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी का मुहूर्त 29 अप्रैल 2025 को भी की जा सकती है। आज शाम 05:31 से शुरू होगा, जो 30 अप्रैल 2025 की दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर होगी।
लकड़ी की चौकी
पीले रंग का कपड़ा
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति
भगवान गणेश की मूर्ति
सिंदूर
फूल, माला
रोली
अक्षत
भगवान गणेश के लिए दूर्वा
भगवान विष्णु के लिए तुलसी
पान और सुपारी
दक्षिणा
एक कलश
कच्चे आम के पत्ते
पानी
गंगाजल
हल्दी
चंदन
एक तेल का दीपक
घी
साबुत नारियल
अगरबत्ती
नैवेद्य
कलावा
जनेऊ
पंचामृत (घी, दही, दूध, केला, मिश्री, शहद का मिश्रण)
कपूर
जल
अक्षय तृतीया के दिन कुछ जगहों पर घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए अक्षय तृतीया को शाम के समय मुख्य द्वार, किचन, तुलसी, तिजोरी और पूजा घर में अवश्य दीपक जलाएं।
अक्षय तृतीया पर भगवान कुबेर के साथ मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ मंत्र, चालीसा आदि का पाठ करने के बाद अंत में इस व्रत कथा का पाठ करना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
इस साल अक्षय तृतीया पर काफी दुर्लभ योगों का निर्माण हो रहा है, जिससे 12 राशियो के जीवन में किसी न किसी तरह से प्रभाव अवश्य देखने को मिलने वाला है। बता दें कि इस दिन पंच महाराजयोग का निर्माण हो रहा है, जिससे कुछ राशियों के ऊपर मां लक्ष्मी की विशेष पा हो सकती है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अक्षय तृतीया के मौके पर लक्ष्मी नारायण, मालव्य, आदित्य योग, गजकेसरी और अक्षय राजयोग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में वृषभ, सिंह, कन्या, वृश्चिक और कुंभ राशि के जातकों को खूब लाभ मिल सकता है।
अक्षय तृतीया के दिन वाहन खरीदना काफी शुभ माना जाता रहा है। इस दिन कुल तीन मुहूर्त बन रहे हैं जिसमें वाहन खरीदने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
पहला मुहूर्त- रवि योग शाम 4 बजकर 18 मिनट से अगले दिन यानी 1 मई को सुबह 5 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।
दूसरा विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 31 मिनट से दोपहर 3 बजकर 24 मिनट तक
तीसरा संध्या मुहूर्त- शाम 6 बजकर 55 मिनट सेरात 8 बजे तक है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि अक्षय तृतीया से ही सत्य युग यानी स्वर्ण युग की शुरुआत हुआ था। इसी दिन से वेद व्यास जी ने भगवान गणेश जी के साथ मिलकर महाभारत लिखना आरंभ किया था।
