Akshaya Tritiya 2025 Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Gold Purchase Muhurat, Maa Lakshmi Aarti, Vrat Katha: हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। इस दिन बिना पंचांग देखे किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक काम किए जा सकते हैं। अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्तों में से एक माना जाता है। हर साल बैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाते हैं। इस दिन बिना कोई मुहूर्त देखे शुभ और मांगलिक काम किए जा सकते हैं। इस साल की अक्षय तृतीया काफी खास है, क्योंकि ग्रहों की स्थिति के हिसाब से गजकेसरी, मालव्य, लक्ष्मी नारायण, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ-साथ अक्षय योग का निर्माण हो रहा है। इस शुभ योगों में मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति हो सकती है। घर में सुख-शांति के साथ-साथ अथाह पैसे की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं अक्षय तृतीया के मौके पर कब खरीदें सोना-चांदी सहित अन्य चीजें। इसके साथ ही जानें पूजा विधि, मंत्र, कथा, क्या करें, क्या नहीं सहित अन्य जानकारी…
अक्षय तृतीया पर कब खरीदें सोना-चांदी। शहर के अनुसार अक्षय तृतीया पर शुभ मुहूर्त।अक्षय तृतीया कथा। अक्षय तृतीया आरती। अक्षय तृतीया विशेज
अक्षय तृतीया 2025 तिथि (Akshaya Tritiya 2025 Date)
बैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ- 29 अप्रैल 2025 को शाम 5 बजकर 31 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त- 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट
अक्षय तृतीया 2025 की तिथि- उदया तिथि के अनुसार, 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।
पहला मुहूर्त- रवि योग शाम 4 बजकर 18 मिनट से अगले दिन यानी 1 मई को सुबह 5 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।
दूसरा विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 31 मिनट से दोपहर 3 बजकर 24 मिनट तक
तीसरा संध्या मुहूर्त- शाम 6 बजकर 55 मिनट सेरात 8 बजे तक है।
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख सम्पत्ति दाता॥
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता॥.
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता॥
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता॥
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता॥
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
मैया जो कोई जन गाता॥
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
अक्षय तृतीया के दिन कुछ जगहों पर घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए अक्षय तृतीया को शाम के समय मुख्य द्वार, किचन, तुलसी, तिजोरी और पूजा घर में अवश्य दीपक जलाएं।
अक्षय तृतीया पर दोपहर 2 बजकर 12 मिनट तक सोना खरीदना सबसे ज्यादा शुभ माना जा रहा है। बता दें कि इसके बाद चतुर्थी तिथि आरंभ हो जाएगी।
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक धर्मदास नामक वैश्य था। वह बहुत गरीब था। धर्मदास अपने परिवार के साथ एक छोटे से गांव में रहता था। गरीब होने के कारण परिवार के भरण-पोषण के लिए चिंतित रहता था। धर्मदास बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति था उसका सदाचार तथा देव एवं ब्राह्मणों के प्रति उसकी श्रद्धा अत्यधिक प्रसिद्ध थी। एक दिन धर्मदास ने कहीं पर हो रही कथा में अक्षय तृतीया के महत्व के बारे में सुना।
ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन वह जल्दी उठकर गंगा में स्नान करके विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा कर ली। इसके बाद दिनभर व्रत रखा और अपने सामर्थ्यानुसार घड़े को जल सहित, पंखे, जौ, सत्तू, चावल, नमक, गेंहू, गुड़, घी, दही, सोना और वस्त्र आदि वस्तुएं भगवान के चरणों अर्पित करने के साथ दान कर दी।
अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी के इस बीज मंत्र का जाप करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
लक्ष्मी जी का बीज मंत्र
ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।।
श्री लक्ष्मी महामंत्र
ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी ॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए
ऊँ महालक्ष्म्यै नमो नमः । ऊँ विष्णुप्रियायै नमो नमः ।।
अक्षय तृतीया पर करें इन मंत्रों का जाप नमो नमः ।।
धन और संपत्ति के देवता कुबेर की पूजा करने के साथ घर पर सही दिशा में रखने से कभी भी पैसों की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। इसलिए आप चाहें, तो कुबेर जी की तस्वीर या मूर्ति उत्तर दिशा में रख सकते हैं। इस दिशा को कुबेर भगवान की दिशा ही मानी जाती है। इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि इस दिशा में भारी चीजें, फर्नीचर, जूते-चप्पल, कूड़ादान आदि न रखें। इसे वास्तु दोष लगता है और दरिद्रता साथ नहीं छोड़ती है।
दोहा
जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै,अविचल खड़े कुबेर॥
विघ्न हरण मंगल करण,सुनो शरणागत की टेर।
भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर॥
चौपाई
जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी। धन माया के तुम अधिकारी॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी। पवन वेग सम सम तनु बलधारी॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी। सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी। सेनापति बने युद्ध में धनुधारी॥
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं। युद्ध करैं शत्रु को मारैं॥
सदा विजयी कभी ना हारैं। भगत जनों के संकट टारैं॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता। पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता। विभीषण भगत आपके भ्राता॥
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया। घोर तपस्या करी तन को सुखाया॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया। अमृत पान करी अमर हुई काया॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में। देवी देवता सब फिरैं साथ में॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में। बल शक्ति पूरी यक्ष जात में॥
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं। त्रिशूल गदा हाथ में साजैं॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं। गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं। ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं। यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं॥
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं। देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं॥
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं। यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं॥
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं। पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं। वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं॥
कांधे धनुष हाथ में भाला। गले फूलों की पहनी माला॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला। दूर दूर तक होए उजाला॥
कुबेर देव को जो मन में धारे। सदा विजय हो कभी न हारे।।
बिगड़े काम बन जाएं सारे। अन्न धन के रहें भरे भण्डारे॥
कुबेर गरीब को आप उभारैं। कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं॥
कुबेर भगत के संकट टारैं। कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं॥
शीघ्र धनी जो होना चाहे। क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं। दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं॥
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं। अड़े काम को कुबेर बनावैं॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं। कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं॥
कुबेर चढ़े को और चढ़ा दें। कुबेर गिरे को पुन: उठा दें॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दें। कुबेर भूले को राह बता दें॥
प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दें। भूखे की भूख कुबेर मिटा दें॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दें। दुखिया का दुख कुबेर छुटा दें॥
बांझ की गोद कुबेर भरा दें। कारोबार को कुबेर बढ़ा दें॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दें। चोर ठगों से कुबेर बचा दें॥
कोर्ट केस में कुबेर जितावैं। जो कुबेर को मन में ध्यावैं॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं। मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं॥
पाठ करे जो नित मन लाई। उसकी कला हो सदा सवाई॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई। उसका जीवन चले सुखदाई॥
जो कुबेर का पाठ करावैं। उसका बेड़ा पार लगावैं॥
उजड़े घर को पुन: बसावैं। शत्रु को भी मित्र बनावैं॥
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई। सब सुख भोद पदार्थ पाई।।
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई। मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई॥
दोहा
शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर॥
कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर।
शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर।।
माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने से मां लक्ष्मी की अति कृपा होती है। इस दिन खरीदा गया सोना के कारण आप दिन गुनी रात चौगुनी तरक्की करते हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार, इस दिन खरीदा गया सोना कभी नष्ट नहीं होता और समृद्धि देने वाला होता है।
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
अक्षय तृतीया कई तरीकों से कास मानी जाती है। बांके बिहारी के साधकों के लिए आज का दिन काफी खास होता है, क्योंकि आज उनके चरणों के दर्शन मिलते हैं। साल में सिर्फ अक्षय तृतीया का दिन ऐसा होता है, जब ठाकुर जी के चरणों के दर्शन होते हैं। बता दें कि पूरे वर्ष ठाकुर जी के चरण पोशाक में छिपे रहते हैं।
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,भण्डार कुबेर भरे॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,सब जय जय कार करैं॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
गदा त्रिशूल हाथ में,शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,धनुष टंकार करें॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
भाँति भाँति के व्यंजन बहुत बने,स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,साथ में उड़द चने॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
बल बुद्धि विद्या दाता,हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े
अपने भक्त जनों के,सारे काम संवारे॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
मुकुट मणी की शोभा,मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती,घी की जोत जले॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
यक्ष कुबेर जी की आरती,जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत प्रेमपाल स्वामी,मनवांछित फल पावे॥
ऊं जै यक्ष कुबेर हरे…॥
अक्षय तृतीया के मौके पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए रुद्राक्ष, ओपल, हीरा, पन्ना, माणिक्य, मोती के अलावा पारद शिवलिंग लाना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
अक्षय तृतीया पर भगवान कुूबेर के साथ मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने का विधान है। आज मां लक्ष्मी को सिंदूर, अक्षत, कमल का फूल या लाल गुलाब का फूल, कमलगट्टा, माला, हल्दी, खीर आदि अर्पित करें।
आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।
विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।
धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।
धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।
प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।
अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।
वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।
जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।
भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।
कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।
आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।
सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।
रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।
मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।
मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।।
सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते
घर में सुख-शांति और ऐश्वर्य के लिए अक्षय तृतीया पर कुछ उपाय करना लाभकारी हो सकता है। इस मंत्र का जाप करने से घर से दरिद्रता दूर हो जाती है।
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः
अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ रात को इस मंत्र का जाप करते हुए दीपक जलाने से घर में सुख-शांति बनी रहती हैं और पैसों की कमी कभी नहीं होती है। 'ॐ लक्ष्मी लक्ष्मी सर्वत्र गच्छ गच्छ मम गृहे ते स्थिर भव' मुख्य द्वार की चौखट में एक घी का दीपक जलाकर इस मंत्र के साथ मां लक्ष्मी को घर आने के लिए कामना करें।
अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने का विधान है। आज के दिन मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए उन्हें खीर, मिश्री,, बताशे, पीली रंग की मिठाईयां और हलवा का भोग लगाना चाहिए।

अक्षय तृतीया के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। साथ ही गंगाजल हाथ में लेकर व्रत का संकल्प ले। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर को पूजा की चौकी पर स्थापित कर लें। वहीं फिर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्ति पर अक्षत चढ़ाएं। फिर फूल या श्वेत गुलाब, धूप-अगरबत्ती इत्यादि से इनकी पूजा अर्चना करें। साथ ही नैवेद्य स्वरूप जौ, गेंहू या फिर सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि अर्पित करें। साथ ही अंंत में विष्णु और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। साथ ही अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी को गुलाबी फूल अर्पित करें। इसके अलावा नई स्फटिक की माला अर्पित करें। वहीं इस दिन ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं। ऐसा करने से आपको अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी।
आज पड़ने वाली अक्षय तृतीया काफी खास है, क्योंकि आज के दिन कई बड़े राजयोगों के साथ-साथ शुभ नक्षत्र बन रह हैं। आज बुधवार के साथ रोहिणी नक्षत्र बन रहा है। इसके साथ ही आज वाशि योग, गजकेसरी, आनन्दादि योग, सुनफा योग, मालव्य योग, सर्वार्थसिद्धि योग, लक्ष्मी नारायण, आदित्य योग, शोभन योग के साथ अक्षय योग का निर्माण हो रहा है।
अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी- श्री विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही कुबेर जी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। बता दें कि आज सुबह 05:41 से लेकर दोपहर 12:18 तक रहेगा।
इस साल अक्षय तृतीया पर काफी दुर्लभ राजयोगों का निर्माण हो रहा है। इसके साथ-साथ आज रोहिणी नक्षत्र के साथ-साथ बुधवार का दिन है। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसा संयोग करीब 17 साल के बाद बन रहा है। ऐसे में कई राशि के जातकों को किस्मत का साथ मिल सकता है।
आज अक्षय तृतीया के मौके पर दुर्लभ अक्षय योग बना है, जो करीब 24 साल के बाद बन रहा है। ऐसा दुर्लभ योग साल 2001 में अक्षय तृतीया के दिन बना था। इस शुभ योग में किसी भी काम को करने से अवश्य सफलता हासिल होगी।
पुरुषों के जल्द विवाह के लिए एक हल्दी की गांठ को पीले धागे या कपड़े में लपेटकर उसे दाहिने हाथ की ऊपरी बांह पर बांधना चाहिए। वहीं महिलाओं को बाएं हाथ की ऊपरी बांह पर बांधना लाभकारी हो सकता है। इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
वैवाहिक जीवन में किसी न किसी प्रकार की समस्या या फिर वाद-विवाद होता रहता है, तो आज भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को हल्दी की गांठ का एक जोड़ा कलावे से बांधकर अर्पित करें। इससे आपके जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।
अक्षय तृतीया के मौके पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हल्दी के इन उपायों को करना लाभकारी साबित हो सकता है। अगर आपके विवाह में किसी भी प्रकार की बाधा , अड़चन आ रही है, तो केले के पेड़ में एक हल्दी की गांठ बांध दें। इससे आपका विवाह जल्द हो जाएगा।
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक धर्मदास नामक वैश्य था। वह बहुत गरीब था। धर्मदास अपने परिवार के साथ एक छोटे से गांव में रहता था। गरीब होने के कारण परिवार के भरण-पोषण के लिए चिंतित रहता था। धर्मदास बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति था उसका सदाचार तथा देव एवं ब्राह्मणों के प्रति उसकी श्रद्धा अत्यधिक प्रसिद्ध थी। एक दिन धर्मदास ने कहीं पर हो रही कथा में अक्षय तृतीया के महत्व के बारे में सुना।
ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन वह जल्दी उठकर गंगा में स्नान करके विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा कर ली। इसके बाद दिनभर व्रत रखा और अपने सामर्थ्यानुसार घड़े को जल सहित, पंखे, जौ, सत्तू, चावल, नमक, गेंहू, गुड़, घी, दही, सोना और वस्त्र आदि वस्तुएं भगवान के चरणों अर्पित करने के साथ दान कर दी।
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