Akshaya Tritiya 2024 Date and Time, Puja Muhurat in Hindi: हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। इसे आखातीज भी कहते हैं। शास्त्रों के मुताबिक इस दिन बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। वहीं विवाह के लिए भी ये दिन शुभ माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन किये गये कार्य सफल होते हैं और उनमें किसी भी तरह की बाधाएं नहीं आती। इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु और कुबेर देव की पूजा करने का विधान है। वहीं  वहीं सोना खरीदने के लिए ये तिथि सबसे शुभ मानी जाती है। आपको बता दें कि अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई को मनाया जाएगा। वहीं इस दिन रवि योग का निर्माण भी हो रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं खरीदारी का शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि…

अक्षय तृतीया खरीदारी का मुहूर्त (Akshaya Tritiya 2024 Shopping Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया का पूजन मुहूर्त 10 मई को सुबह 5 बजकर 32 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में आप सोना या चांदी की खरीदारी कर सकते हैं।

अक्षय तृतीया की पूजा विधि

अक्षय तृतीया के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। साथ ही गंगाजल हाथ में लेकर व्रत का संकल्प ले।  इसके बाद  भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर को पूजा की चौकी पर स्थापित कर लें। वहीं फिर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्ति पर अक्षत चढ़ाएं। फिर फूल या श्वेत गुलाब, धुप-अगरबत्ती इत्यादि से इनकी पूजा अर्चना करें। साथ ही नैवेद्य स्वरूप जौ, गेंहू या फिर सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि अर्पित करें। साथ ही अंंत में विष्णु और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। साथ ही अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी को गुलाबी फूल अर्पित करें। इसके अलावा नई स्फटिक की माला अर्पित करें। वहीं इस दिन ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं। ऐसा करने से आपको अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी।

अक्षय तृतीया महत्त्व

शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम का जन्म हुआ था।

वहीं अक्षय तृतीया पर सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था।

भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण और हयग्रीव का अवतरण भी इसी तिथि में हुआ माना जाता है।

मान्यता है कि वेद व्यास और श्रीगणेश द्वारा महाभारत ग्रन्थ के लेखन का प्रारंभ भी इसी तिथि से हुआ था।

वहीं अक्षय तृतीया तिथि पर ही महाभारत के युद्ध का समापन माना जाता है।

द्वापर युग का समापन भी अक्षय तृतीया पर हुआ माना गया है।

मान्यताओं अनुसार मां गंगा का धरती पर आगमन इस शुभ तिथि पर ही हुआ था।

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