हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना की जाती है। साथ ही इस दिन को आखा तीज भी कहते हैं। वहीं सोना या अन्य कोई वस्तु खरीदने के लिए ये तिथि सबसे शुभ मानी जाती है। दीपावली की ही तरह इस दिन भी मां लक्ष्मी की पूजा करने से उनकी असीम कृपा बरसती है और जीवन धन-धान्य से भरा रहता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान परशुराम का भी जन्म हुआ था।

हालांकि, इस साल इस पर्व का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। क्योंकि अक्षय तृतीया पर खरीदारी के लिए अबूझ मुहूर्त के साथ तीन विशेष योग भी बन रहे हैं। आइए जानते हैं खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त और विशेष योगों के बारे में…

 ये हैं शुभ मुहूर्त और नक्षत्र:

अक्षय तृतीया तिथि आरंभ- 3 मई सुबह 5 बजकर 18 मिनट पर

अक्षय तृतीया तिथि समापन- 4 मई सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक।

रोहिणी नक्षत्र- 3 मई सुबह 12 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर 4 मई सुबह 3 बजकर 18 मिनट तक होगा।

आइए जानते हैं खरीदारी के लिए चौघड़िया मुहूर्त का समय:

प्रात:काल के लिए मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत)- सुबह 08 बजकर 58 मिनट से दोपहर 01 बजकर 57 मिनट तक

दोपहर के लिए मुहूर्त (शुभ)- दोपहर 03 बजकर 39 मिनट से शाम 05 बजकर 17 मिनट तक 

शाम के लिए मुहूर्त (लाभ)- रात 08 बजकर 19 मिनट से रात 09 बजकर 37 मिनट तक 

रात का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर)- रात 10 बजकर 57 मिनट से देर रात 02 बजकर 59 मिनट तक 

ये बन रहे हैं तीन बेहद शुभ योग:

  1. रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग की वजह से मंगल रोहिणी योग बन रहा है।
  2. इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में, शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में, शनि अपनी स्वराशि कुंभ में और बृहस्पति अपनी स्वराशि मीन में मौजूद होंगे। जो कई सालों के बाद बना है।
  3. मंगलवार को तृतीया तिथि होने से सर्वसिद्धि योग बन रहा है। जिसको ज्योतिष के दृष्टिकोण से बहुत शुभ माना जाता है।

अक्षय तृतीया का महत्व:

अक्षय तृतीया का दिन सालभर की शुभ तिथियों की श्रेणी में आता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन त्रेता युग का आरंभ भी माना जाता है। कहते हैं इस दिन किए गए कार्यों से अक्षयों फलों की प्राप्ति होती है। ‘न क्षय इति अक्षय’, यानि जिसका कभी क्षय न हो, वह अक्षय है। लिहाजा इस दिन जो भी शुभ कार्य, पूजा पाठ या दान-पुण्य आदि किया जाता है, वो सब अक्षय हो जाता है।

अक्षय तृतीया की पूजा विधि: 

शास्त्रों के अनुसार इस दिन का विशेष महत्व होता है। आपको बता दें कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना की जाती है। कई स्त्रियां अपने परिवार की समृद्धि के लिए इस दिन व्रत भी रखती हैं। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद श्री विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए। फूल या श्वेत गुलाब, धुप-अगरबत्ती इत्यादि से इनकी पूजा अर्चना करनी चाहिए। नैवेद्य स्वरूप जौ, गेंहू या फिर सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि का चढ़ावा चढ़ाना चाहिए। हो सके तो इस दिन ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं। इस खास दिन पर इन चीजों का दान करना बेहद ही फलदायी माना गया है- फल-फूल, भूमि, जल से भरे घड़े, बर्तन, वस्त्र, गौ, कुल्हड़, पंखे, खड़ाऊं, खरबूजा, चीनी, साग, चावल, नमक, घी आदि।