Amla Navami Puja Vidhi: कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी मनाई जाती है जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। माना जाता है कि इसी दिन से द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। इस दिन महिलाएं आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर संतान की प्राप्ति व उसकी रक्षा के लिए पूजा करती हैं। कई जगह इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने की भी प्रथा है। माना जाता है कि अक्षय नवमी पर मां लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक में भगवान विष्णु एवं शिव जी की पूजा आंवले के रूप में की थी।
आंवला नवमी की पूजन-विधि (Amla Navami Puja Vidhi) :
– महिलाओं को इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके आंवले के पेड़ पर जाना चाहिए।
– इसके बाद पेड़ के आस-पास सफाई करके पेड़ की जड़ में साफ पानी चढ़ाएं।
– फिर पेड़ की जड़ में दूध चढ़ाना चाहिए।
– इसके उपरान्त पूजन की सामग्रियों से पेड़ की पूजा करें और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली 108 परिक्रमा करते हुए लपेटें और परिवार की सुख समृद्धि की कामना करें।
– पूजन के बाद पेड़ के नीचे बैठकर परिवार व मित्रों के साथ भोजन ग्रहण करना चाहिए।
अक्षय नवमी का शुभ मुहूर्त (Amla/Akshaya Navami Shubh Muhurat) :
अक्षय नवमी पूर्वाह्न समय – 06:36 ए एम से 12:05 पी एम
अवधि – 05 घण्टे 29 मिनट्स
नवमी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 05, 2019 को 04:57 ए एम बजे
नवमी तिथि समाप्त – नवम्बर 06, 2019 को 07:21 ए एम बजे
आंवला नवमी की कथा (Akshaya Navami Katha) :
काशी नगर में एक निःसंतान धर्मात्मा वैश्य रहता था। एक दिन वैश्य की पत्नी से एक पड़ोसन बोली यदि तुम किसी दूसरी स्त्री के लड़के की बलि भैरवजी को चढ़ा दो तो तुम्हें पुत्र की प्राप्ति होगी। इस बात का पता वैश्य को चला तो उसने इसे अस्वीकार कर दिया । लेकिन उसकी पत्नी नहीं मानी। एक दिन उसने एक कन्या को कुएं में गिराकर भैरव जी को उसकी बलि दे दी, इस हत्या का परिणाम विपरीत हुआ। वैश्य की पत्नी के शरीर में कोढ़ हो गया और लड़की की आत्मा उसे परेशान करने लगी। वैश्य के पूछने पर उसने पति को सारी बातें बता दी। वैश्य ने पत्नी से कहा ब्राह्मण वध,बाल वध व गौ हत्या पाप है, ऐसा करने वालों के लिए इस धरती में कोई जगह नहीं है। वैश्य की पत्नी अपने किये पर शर्मसार होने लगी, तब वैश्य ने उससे कहा कि तुम गंगाजी की शरण में जाकर भगवान का भजन करो व गंगा स्नान करो तभी तुम्हें इस रोग से मुक्ति मिल पाएगी। वैश्य की पत्नी गंगाजी की शरण में जाकर भगवान का भजन करने लगी, गंगाजी ने उसे कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवले के पेड़ की पूजा करने की सलाह दी थी। गंगाजी की सलाह पर महिला ने इस तिथि पर आंवले के पेड़ की पूजा करके आंवला खाया था, जिससे वह रोगमुक्त हो गई थी। आंवले के पेड़ की पूजन व वृत के कारण ही महिला को कुछ दिनों बाद संतान की प्राप्ति हुई। तब से ही हिंदू धर्म में इस वृत का प्रचलन बढ़ा और परंपरा शुरू हो गई।
आंवला नवमी का महत्व (Amla Navami Significance) :
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दानव को मारा था। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाने और उसे ग्रहण करने का विशेष महत्व है। आंवला नवमी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा की थी। इस वजह से अक्षय नवमी पर लाखों भक्त मथुरा-वृदांवन की परिक्रमा भी करते हैं। अक्षय नवमी की पूजा संतान प्राप्ति, सुख-समृद्धि के लिए की जाती है।

