Amla navami 2022: शास्त्रों में आंवला नवमी का विशेष महत्व बताया गया है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहते हैं। पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी मनाई जाती है। इस दिन आंवले की वृक्ष की पूजा की जाती है। इस वृक्ष की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहने की मान्यता है। वहीं इस साल अक्षय नवमी 02 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन दो विशेष योग भी बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि…
जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त
फ्यूचर पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 1 नवंबर, मंगलवार की रात 11 बजकर 3 मिनट से शुरू हो रही है और अगले दिन 04 नवंबर की रात 9 बजकर 11 मिनट कर रहेगी। इसलिए सर्योदय तिथि के अनुसार आंवला नवमी इस साल 04 नवंबर बुधवार को मनाई जाएगी। अक्षय नवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 02 नवंबर की सुबह 06 बजकर 33 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 05 मिनट तक रहेगा।
बन रहे 2 विशेष योग
पंचांगं के मुताबिक इस दिन शतभिषा नक्षत्र होने से मानस नाम का योग बन रहा है। वहीं इसके अलावा वृद्धि योग भी इस दिन बनेगा। इन योगों को ज्योतिष में विशेष माना गया है। वृद्धि योग में पूजा करने से पूजा का कार्य में सिद्धि की प्राप्ति होती है।
इस विधि से करें आवंले के वृक्ष की पूजा
इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर लें और साफ- सुथरे कपड़े पहल लें। इस दिन आप व्रत का संकल्प भी ले सकते हैं। सबसे पहले आंवले को रोली, हल्की और फल- फिल अर्पित करें। इसके बाद आंवले के वृक्ष के निकट पूर्व की ओर मुख करके जल अर्पित करें। फिर आंवले के पेड़ पर मौली लपेटते हुए आठ बार परिक्रमा करें। इसके बाद कथा कथा पढ़ें। संभव हो तो इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे जरूरतमंदों और निर्धनों को भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन करें। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।
जानिए महत्व
पद्मपुराण के मुताबिक आंवला को साक्षात विष्णु का ही स्वरूप माना गया है। साथ ही आंवला वृक्ष को प्रणाम करने से गोदान के बराबर फल मिलता है। ऋग्वेद में बताया गया है कि इस दिन सतयुग आरम्भ हुआ था। साथ ही आंवला नवमी पर ही भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल छोड़ मथुरा प्रस्थान किया था। इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है।
