Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024 Kab Hai, Puja Vidhi: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार, फिलहाल पौष माह चल रहा है और पौष माह में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। बता दें कि अखुरथ संकष्टी साल की आखिरी चतुर्थी है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी के दिन बप्पा की विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत रखने से जातकों के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही यश, धन, वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं साल की आखिरी चतुर्थी कब है। साथ ही जानिए अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत 2024 कब? (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024 Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार, अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत 18 दिसंबर को रखा जाएगा। इस दिन चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 43 मिनट से होगी और इस तिथि का समापन 19 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 2 मिनट पर होगा।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024 Chandrodaya Samay)
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 19 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से लेकर 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। वहीं, गोधूलि मुहूर्त शाम 5 बजकर 25 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 52 मिनट तक रहेगा और अमृत काल सुबह 6 बजकर 30 मिनट से लेकर 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2024 चंद्रोदय का समय (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024 Moon Rise Time)
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रोदय रात 08 बजकर 27 मिनट पर होगा।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Akhuratha Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें उसके बाद व्रत का संकल्प लें। फिर मंदिर की साफ-सफाई कर पूजा की तैयारी करें। अब गणेश जी को मोदक, फूल लड्डू, दूर्वा घास आदि अर्पित करें। धूप-दीप जलाएं, फिर गणेश जी के मंत्रों का जाप करें। उसके बाद गणेश जी की आरती करें। बता दें कि संकष्टी चतुर्थी के दिन शाम की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन शाम के समय गणेश जी के सामने धुप, दीप, अगरबत्ती जलाएं। उसके बाद इन्हें फुल, प्रसाद, नारियल चढ़ाएं। इसके बाद गणेश जी के मंत्रों का जाप करें। फिर संकष्टी चतुर्थी की कथा सुने और अंत में आरती करें। फिर चंद्रोदय के बाद चांद की पूजा करें और उन्हें जल अर्पित करें। इसके साथ ही चांद को फूल, चन्दन, चावल चढ़ाएं।
गणेश जी के मंत्र (Ganesh Ji Ke Mantra)
॥ ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
॥ ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
‘ॐ ऐं ह्वीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’
‘ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।’
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।
‘इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः’
हिंदू धर्म में खरमास का महीना बेहद खास माना जाता है। इस माह में भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाती है। खरमास शुरू होते ही सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य थम जाते हैं। मान्यता है कि इस माह में सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को सुख समृद्धि मिलती है। ज्योतिष के अनुसार, इस दौरान कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।
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