Ahoi Ashtami Puja Ka Shubh Muhurat, Katha: अहोई अष्टमी व्रत संतान की सुख के लिए किया जाता है। कहते हैं कि जो माताएं अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखती हैं उनके बच्चों की लंबी उम्र होती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी व्रत किया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 2020 में अहोई अष्टमी व्रत 8 नवंबर, रविवार के दिन रखा जाएगा।

अहोई अष्टमी का महत्व (Ahoi Ashtami Importance)
अहोई अष्टमी व्रत माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए रखती हैं। इस व्रत को बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश और कार्तिकेय की माता पार्वती की उपासना की जाती है। कहते हैं कि जो माताएं इस दिन व्रत रखती है उनकी संतानों की दीर्घायु होती है। उन्हें यश, कीर्ति, वैभव, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। बताया जाता है कि जिनकी माताएं इस दिन व्रत रखती हैं उनके बच्चों की रक्षा स्वयं माता पार्वती करती हैं।

अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami Puja ka Shubh Muhurt)
पूजा का शुभ मुहूर्त – 8 नवंबर, रविवार – शाम 05 बजकर 37 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक।

अहोई अष्टमी व्रत विधि (Ahoi Ashtami Vrat Vidhi)
अहोई अष्टमी के दिन माताएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
फिर अहोई अष्टमी व्रत रखने का संकल्प लें।
अहोई माता की पूजा के लिए दीवार पर गेरू से माता अहोई का चित्र बनाएं। साथ ही सेह और उनके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। आप चाहें तो उनका रेडिमेड चित्र या प्रतिमा भी लगा सकते हैं।

अब इस पर जल से भरा हुआ कलश रखें।
रोली-चावल से अहोई माता की पूजा करें।
अब अहोई माता को मीठे पुए या आटे के हलवे का भोग लगाएं।
कलश पर स्वास्तिक बनाकर हाथ में गेंहू के सात दाने लें।

अब अहोई माता की कथा सुनें।
फिर तारों को अर्घ्य देकर अपने से बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लें।
कई लोग इस दिन चांदी के सेह के मोतियों की माला भी पहनते हैं। जबकि कुछ लोग अहोई अष्टमी के दिन मीठे पुए बनाकर अपने बच्चों को आवाज लगाकर बुलाने की प्राचीन परंपरा भी निभाते हैं।