भक्त अपने आराध्य के दर्शन करने के लिए विभिन्न मंदिरों में जाते हैं और अपनी इच्छा प्रकट करते हैं। इसके साथ ही मंदिर की सीढ़ियों में बैठना शुभ माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर मंदिर की सीढ़ियों में क्यों बैठना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही धन-दौलत, सुख-संपदा मांगने के बजाय किस श्लोक को बोलना चाहिए। जानिए इसके बारे में।

मंदिर की सीढियों में क्यों बैठना माना जाता है शुभ

मंदिर की सीढ़ियों में बैठना शुभ माना जाता है, क्योंकि मंदिर के शिख को देव विग्रह का मुख और सीढ़ियों को उनके चरण पादुका माना जाता है। इसलिए मंदिर में आंखे खोलकर भगवान के पूरी श्रद्धा के साथ दर्शन करना चाहिए। वहीं, मंदिर की सीढ़ियों में बैठकर भगवान का स्मरण करते हुए इस श्लोक को बोलना चाहिए।

मंदिर की सीढ़ियों में बैठकर बोले ये श्लोक

श्लोक

अनायासेन मरणम् ,बिना देन्येन जीवनम्।
देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम् ।।

इस श्लोक का अर्थ है-

अनायासेन मरणम्- इसका मतलब है कि हे प्रभु मुझे मृत्यु किसी भी प्रकार के कष्ट के साथ न हो यानी किसी बीमारी के कारण बिस्तर में लेटे-लेटे न हो, बल्कि चलते-फिरते प्राण निकल जाए।

बिना देन्येन जीवनम्- हे प्रभु, मेरा जीवन किसी के ऊपर निर्भर न हो यानी बिल्कुल ऐसी अवस्था जिसमें किसी सहारे की जरूरत पड़े। बिना किसी के सहारे के आसामी से जीवन बिता सके।

देहान्त तव सानिध्यम्- हे प्रभु, जब मेरी मृत्यु हो, तो आप मेरे सम्मुख हो। जैसे भीष्म पितामह के प्राण त्यागते समय खुद श्री कृष्ण वहां पर मौजूद थे। आपके दर्शन करते हुए मेरे प्राण निकले।

देहि मे परमेश्वरम्- हे प्रभु, ऐसा मुझे वरदान दें।