Vidur Niti In Hindi: महाभारत काल में महात्मा विदुर ने हर पक्ष पर कई विचार साझा किये थे जिनका अनुसरण न केवल पांडव बल्कि कौरव भी आदरपूर्वक किया करते थे। विदुर जी को महाभारत काल के सबसे समझदार व्यक्तियों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि महाभारत युद्ध में पांडवों की जीत के असली नायक श्रीकृष्ण के साथ ही विदुर जी की समझदारी भी थी। उनकी बुद्धिमता के कायल महाराज धृतराष्ट्र से लेकर भीष्म पितामह तक थें। माना जाता है कि भीष्म जरूरी फैसलों से पहले विदुर की सलाह लिया करते थे। बता दें कि जिस प्रकार चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य के विचारों को संग्रहित किया गया है, वैसे ही विदुर नीति में महात्मा विदुर के विचारों का सार है।
विदुर नीति में महात्मा विदुर ने आर्थिक संकटों से उबरने व धन वृद्धि के कई उपाय बताए हैं, आइए जानते हैं उन्हें विस्तार से –
श्रीर्मङ्गलात् प्रभवति प्रागल्भात् सम्प्रवर्धते।
दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात् प्रतितिष्ठत्ति।।
करें सुकर्म: वर्तमान समय में हर व्यक्ति को अपना जीवन ढंग से जीने के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है। मगर किसी भी मनुष्य को अगर कोई बात अधिक परेशान करती है तो वो है धन संबंधी दिक्कतें व बचत न हो पाना। महात्मा विदुर के मुताबिक जो लोग अच्छे कर्म करते हैं, इमानदारी से अपने कार्यों को संपन्न करते हैं, उनपर मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। माना जाता है कि मां लक्ष्मी का वास हर वक्त उस व्यक्ति के साथ होता है जो मेहनती होते हैं और कभी भी परिश्रम का साथ नहीं छोड़ते हैं।
सही मैनेजमेंट हैं जरूरी: किसी भी व्यक्ति में मैनेजमेंट का गुण होना भी धन संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए जरूरी है। इससे लोग अपने पास मौजूद धन को ठीक तरीके से मैनेज करना पड़ता है। विदुर का मानना है कि डिसिप्लिन प्रबंधन की क्षमता को बढ़ाने में कारगर साबित होती है। इससे व्यक्ति निवेश व बचत करने में सक्षम हो पाता है।
सोच-समझकर करें पैसे खर्च: विदुर के उपरोक्त श्लोक के अनुसार धन संबंधी चतुराई होने से ही लोग सेविंग्स करने में सक्षम हो पाते हैं। उनके मुताबिक जो लोग धन को सोच-समझकर अपने काम में लाते हैं। अपने खर्चों को ध्यान में रखने वाले लोगों के पास सेविंग्स भी होती हैं और पैसों की बढ़त भी उन्हें मिलती है।
संयमित रहें: श्लोक के अनुसार जिस चौथी चीज़ का जिक्र महात्मा विदुर ने किया है, वो है संयम यानी धैर्य। उनके अनुसार लोगों के लिए धन का उपयोग तो जरूरी है लेकिन दुरुपयोग करने से बचने की हिदायत भी देते हैं। उनके मुताबिक लोगों को मानसिक, वैचारिक और शारीरिक रूप से संयमित रखने की जरूरत है।

