महान अर्थशास्त्री और कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में मानव कल्याण से जुड़े लगभग सभी विषयों का जिक्र किया है। हजारों वर्षों पूर्व रचित चाणक्य जी की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक मानी जाती हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति आचार्य चाणक्य की नीतियों का अनुसरण करता है, वह अपना जीवन सुख से व्यतीत करता है। चाणक्य जी की नीतियों के माध्यम से हम यह पता लगा सकते हैं कि मनुष्य को किस परिस्थिति में कैसा व्यवहार करना चाहिए।
आचार्य चाणक्य का मानना था कि अपनी जिंदगी में मनुष्य को धोखे और मुसीबतों से बचने के लिए इंसान को परखने की कला आनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति अच्छे या बुरे इंसान में पहचान नहीं कर पाता है तो अपनी जिंदगी में उसे बड़ा धोखा मिल सकता है। अक्सर ऐसा होता है कि कुछ लोग अच्छे और बुरे लोगों में फर्क नहीं कर पाते। इसको लेकर आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कुछ जरूरी बातें बताई हैं, जिन्हें अगर व्यक्ति अपना ले तो उसे लोगों को पहचानने में कोई परेशानी नहीं आएगी।
व्यक्ति के कर्म: आचार्य चाणक्य बताते हैं कि व्यक्ति के कर्मों के जरिए उसकी परख की जा सकती है। अगर व्यक्ति दूसरों की मदद करता है, तो ऐसे लोग अच्छे होते हैं वहीं अगर कोई व्यक्ति गलत तरीके से पैसे कमाता है तो वह आपको भी नुकसान पहुंचा सकता है।
आदत: चाणक्य जी कहते हैं जो व्यक्ति आलसी, झूठे और नशा करने वाले होते हैं, ऐसे लोगों पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसे लोग आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकते हैं।
इंसानियत की भावना: कौटिल्य के नाम से प्रसिद्ध आचार्य चाणक्य बताते हैं कि जिस मनुष्य में इंसानियत की भावना नहीं होती, वह कभी भी आपका भला नहीं सोच सकता। ऐसे लोग से हमेशा दूसरों के दुख में खुश होते हैं।
चरित्र: आचार्य चाणक्य बताते हैं व्यक्ति का चरित्र उसके स्वभाव के बारे में कई खुलासे करता है। अगर किसी व्यक्ति का चरित्र ठीक नहीं है तो वह आपकी छवि को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए ऐसे लोगों से दूर रहने में ही भलाई है।