Chanakya Niti: कौटिल्य के नाम से मशहूर आचार्य चाणक्य अपने रणनीतियों को लेकर दुनियाभर में मशहूर हैं। चाणक्य जी ने अपनी नीतियों के दम पर ही नंद वंश का नाश कर, चंद्रगुप्त मौर्य को मगध का सम्राट बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आचार्य चाणक्य को समाज के लगभग सभी विषयों की गहराई से समझ थी, इसलिए उन्होंने एक नीति शास्त्र की भी रचना की थी, जिसके जरिए उन्होंने समाज का मार्गदर्शन किया।
वर्तमान समय में भी चाणक्य जी की नीतियां बेहद ही प्रासंगिक मानी जाती हैं। माना जाता है कि जो भी मनुष्य आचार्य चाणक्य की नीतियों का अनुसरण करता है, उसे अपनी जिंदगी में कभी भी असफलता प्राप्त नहीं होती। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में ऐसी परिस्थितियों का जिक्र किया है, जिसमें धन और विद्या भी किसी काम के नहीं रहते।
आचार्य चाणक्य ने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे थे, इसलिए वह धन के महत्व को भी अच्छी तरह से समझथे थे। चाणक्य जी का मानना था कि जहां धन आपको मुश्किल परिस्थितियों से निकालता है, वहीं विद्या सबसे बड़ा धन होती है।
किताब में रहने वाली विद्या: आचार्य चाणक्य के अनुसार जो विद्या पुस्तक में रहती है, वह किसी काम की नहीं होती। इस कथन के माध्यम से चाणक्य जी का कहना है कि जो ज्ञान केवल किताबों तक ही सीमित रहता है, वक्त आने पर उसका कोई औचित्य नहीं रहता। इसलिए व्यक्ति को किताबी ज्ञान की जगह व्यवहारिक ज्ञान की समझ होना बेहद ही जरूरी है। हालांकि जो लोग केवल किताबों को रटते हैं और उन्हें व्यवहारिकता की बिल्कुल भी समझ नहीं होती है, वह ज्ञान किसी काम का नहीं होता।
आचार्य चाणक्य का मानना है कि व्यक्ति को अपने गुरु से ज्ञान लेते समय अपनी जिज्ञासा को पूरी तरह से शांत कर देना चाहिए, क्योंकि आधा-अधूरा ज्ञान आपको मुश्किलों में डाल सकता है।
दूसरों के पास पड़ा धन: आचार्य चाणक्य का मानना था कि आपका जो धन किसी दूसरे के पास है, वह किसी काम का नहीं होता। इसलिए धन का संचयन व्यक्ति को हमेशा खुद के पास ही करना चाहिए। अक्सर ऐसा होता है कि लोग अपना धन किसी दूसरे को दे देते हैं, लेकिन समय पड़ने पर वह किसी काम का नहीं होता।