समुद्र शास्त्र के अनुसार शरीर पर स्थित चिह्न के आधार पर मनुष्य के हाव-भाव और उनके स्वभाव के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है। इसके अलावा किसी भी व्यक्ति के बोलने का तरीका भी उसके स्वभाव को दर्शाता है। प्रत्येक मनुष्य के बोलने का तरीका एक दूसरे से अलग होता है। समुद्र शास्त्र या शरीर लक्षण विज्ञान में मनुष्य के बोलने के तरीके पर गहन शोध किया गया है। जिसके आधार पर इसान के स्वभाव के बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है। जानते हैं कि बोलने के तरीके से मनुष्य का स्वभाव कैसे जानेंगे।
ऊंचे स्वर में बोलने वाले: समुद्र शास्त्र के मुताबिक जो लोग ऊंचे स्वर में बोलते हैं वे दूसरों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करना चाहते हैं। साथ ही ऐसे लोग हठपूर्वक अपने अधूरे ज्ञान को दूसरों पर थोपना चाहते हैं। ऐसे लोग किसी दूसरे की बात सुनना पसंद करते हैं।
तेजी से बोलने वाले: समुद्र शास्त्र के मुताबिक कुछ लोग इतनी तेजी से बोलते हैं कि उनकी बात किसी को भी समझ में नहीं आती है। ऐसे जातक न तो किसी बात को छुपाते हैं और न ही उसमें किसी बात को स्पष्ट करने का साहस होता है। ऐसे लोग धोखेबाज हो सकते हैं।
कर्कश बोलने वाले: कुछ लोग जब बोलते हैं तो उनकी वाणी में कर्कशता होती है। माना जाता है कि ऐसे लोग झगड़ालु, दुखी और लक्ष्यहीन होते हैं। कई लोगों के बोलने का अंदाज शेर की तरह गुर्राने जैसा होता है। ऐसे लोग संयम रखने वाले, विद्वान, ज्ञानी और अध्ययन करने वाले होते हैं। वहीं धीरे से बोलने वाले लोग अविकसित बुद्धि, अज्ञानी, संकुचित बुद्धि, धूर्त, कामचोर और असफल होते हैं। गंभीर और संतुलित स्वर मानव मस्तिष्क की उच्च प्रवृत्तियों का सूचक होता है। इसलिए गंभीर और संतुलित बोलने वाले लोग अपने परिवार के प्रति जिम्मेदार होते हैं। ये हर काम व्यवस्थित तरीके से करना पसंद करते हैं। साथ ही ऐसे लोग समाज सेवा के कार्यों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।


