Parvati Ji Ki Aarti: मां पार्वती को सर्वोच्च देवियों में से एक माना जाता है। मां पार्वती भगवान शिव की पत्नी होने के साथ सार्वभौमिक शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। वह शक्ति का स्त्रोत होने के साथ शिव जी को ऊर्जा प्रदान करती हैं। मां पार्वती को उमा, गौरी के नाम से भी जाना जाता है। वह मातृत्व, शक्ति, प्रेम, सौंदर्य, सद्भाव, विवाह, संतान की देवी भी हैं। यहां पढ़िए माता पार्वती जी की आरती जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता लिरिक्स इन हिंदी और साथ ही जानें मां पार्वती जी की आरती का महत्व, लाभ, अर्थ, आरती करने का सही समय और साथ ही अन्य जानकारी…
- मां पार्वती जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी
- मां पार्वती की आरती का महत्व
- मां पार्वती की आरती करने के लाभ
- मां पार्वती जी की आरती कैसे करें
- मां पार्वती जी की आरती का सही समय?
- मां पार्वती की आरती करने के लाभ
- मां पार्वती जी की आरती अर्थ सहित
Parvati Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi ( मां पार्वती जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी)
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥
जय पार्वती माता
अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता॥
जय पार्वती माता
सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा।
देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा॥
जय पार्वती माता
सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता॥
जय पार्वती माता
शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता।
सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा॥
जय पार्वती माता
सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता।
नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता॥
जय पार्वती माता
देवन अरज करत हम चित को लाता।
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता॥
जय पार्वती माता
श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता।
सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता॥
जय पार्वती माता
मां पार्वती की आरती का महत्व
हिंदू धर्म में मां पार्वती को शक्ति, संतान, सुख, परिवार की सुख-शांति के रूप में जाना जाता है। मां पार्वती की आरती भागवत पुराण में मिलती हैं। भगवान शिव की धर्मपत्नी को दया, कृपा और करुणा की देवी माना जाता है। इसलिए नियमित रूप से पार्वती जी की आरती करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और हर दुख-दर्द दूर हो जाता है।
मां पार्वती की आरती करने के लाभ
- मां पार्वती की आरती रोजाना करने से मानसिक शांति के साथ शारीरिक बल मिलने के साथ जीवन में खुशियों की दस्तक होती है।
- मां पार्वती को शक्ति की देवी माना जाता है। इसलिए रोजाना मां पार्वती की आरती करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे वह हर चुनौती को पार कर लेता है।
मां पार्वती की पूजा करने के साथ आरती करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही संतान संबंधी हर समस्या दूर हो जाती है।
मां पार्वती की आरती करने से जीवन के हर दुख और बाधाएं दूर हो जाती हैं और सुख-शांति की दस्तक होती है।
रोजाना आरती करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से महिलाओं को लाभ मिलता है।
मां पार्वती जी की आरती कैसे करें
मां पार्वती की आरती के लिए सबसे पहले मां पार्वती की तस्वीर या मूर्ति रखें। इसके बाद फूल, माला, सिंदूर,कुमकुम लगाने के बाद भोग लगाएं। इसके बाद घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। फिर मां पार्वती का ध्यान करते हुए आह्वान करें और प्रार्थना करते हुए कहें”हे देवी पार्वती, हम आपके चरणों में विनती कर रहे हैं। अपनी कृपा हमेशा बनाए रखें और हमारे जीवन में सुख और शांति रहने का आशीर्वाद दें। इसके साथ ही बिना किसी त्रुटि के आरती कर लें। मां के चारों ओर दीपक घुमाकर आरती करें।
मां पार्वती जी की आरती का सही समय?
मां पार्वती की पूजा किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन विशेष रूप से प्रात: काल या संध्या समय में आरती करना अधिक फलदायक माना जाता है।
मां पार्वती जी की आरती के बाद क्या करना चाहिए?
आरती करने के बाद मां पार्वती को ताम्बूल यानी पान, सुपारी और लौंग के साथ फल चढ़ाएं। इसके साथ ही आरती के चारों ओर जल से आचमन कर दें। फिर भूल चूक के लिए माफी मांग के परिवार के सभी सदस्यों को आरती देने के बाद प्रसाद दें।
मां पार्वती जी की आरती अर्थ सहित
आरती- जय पार्वती माता जय पार्वती माता। ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥
अर्थ: मां पार्वती ब्रह्मा, शिव और विष्णु के सामूहिक गुणों से संपन्न हैं और सभी को शुभ फल देने वाली हैं। जय माता पार्वती की।
आरती- अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता। जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता॥
अर्थ: मां पार्वती की आरती उतारे, जो उन बुरे तत्वों का नाश करने वाली हैं जिसके कारण संसार में असत्य और अनाचार फैलाता है। वे पूरे जग यानी दुनिया की माता हैं और जिनके गुणों की चर्चा हर कोई करता है।
आरती- सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा। देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा॥
अर्थ: मां पार्वती सिंह यानी शेर की सवारी करती हैं और उनके कानों में सुंदर कुण्डल रहते हैं। देवों की पत्नी के रूप में उनका सम्मान किया जाता है और वे नृत्य करती हुई आनंदित होती हैं।
आरती- सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता। हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता॥
अर्थ: मां पार्वती सती के रूप में भी काफी प्रसिद्ध हैं, जो अत्यंत सुंदर और गुणी थीं। वे हिमाचल के घर में जन्मी थीं और अपनी सखियों के साथ समय बिताती थीं।
आरती- शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता। सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा॥
अर्थ: मां पार्वती ने शुम्भ और निशुम्भ नामक राक्षसों का वध किया। उनका रूप सहस्त्र भुजाओं वाला है और वे हाथ में चक्र लिए हुए हैं।
आरती- सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता। नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता॥
अर्थ: मां पार्वती सृष्टि की जननी हैं और शिव के साथ प्रेम में रंगी रहती हैं। उनका वाहन नंदी और उनके पास बृंगी नामक कीट है, जो पूरे संसार को मदमाती है।
आरती- देवन अरज करत हम चित को लाता। गावत दे दे ताली, मन में रंगराता॥
अर्थ: हम सभी देवताओं से प्रार्थना करते हुए मां पार्वती की स्तुति करते हैं और मन में श्रद्धा और प्रेम के साथ उनके गुणों का गान करते हैं।
आरती- श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता। सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता॥
अर्थ: जो कोई मां पार्वती की इस आरती का गायन करता है, वह हमेशा सुखी रहता है और उसकी सुख-संपत्ति में वृद्धि होती है।