Chandra Dev Ki Aarti: हिंदू धर्म में चंद्र देव का विशेष महत्व है। नवग्रह में से एक चंद्रमा है, जिसे मन, भावनाएं और मानसिक स्थिति का कारक माना जाता है। चंद्रमा को मन का स्वामी माना जाता है। हिंदू धर्म में कुछ खास तिथियों में चंद्रमा की पूजा करना शुभ माना जाता है। पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्र देव की विशेष पूजा की जाती है, क्योंकि इस दिन वह 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। इसके अलावा करवा चौथ, चंद्र दर्शन आदि के दौरान भी चंद्र देव की पूजा करने का विशेष महत्व है। इसके अलावा अगर आपकी कुंडली में चंद्र दोष है, तो इनकी पूजा करने के साथ-साथ आरती करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यहां पढ़िए चंद्र देव की आरती ऊं जय सोम देवा लिरिक्स इन हिंदी, साथ ही जानें चंद्र देव की आरती का महत्व, लाभ, अर्थ, आरती करने का सही समय और अन्य जानकारी…
- चंद्र देव की आरती लिरिक्स इन हिंदी
- चंद्र देव की आरती का महत्व
- चंद्र देव की आरती करने के लाभ
- चंद्र देव की आरती कैसे करें
- चंद्र देव की आरती का सही समय?
- चंद्र देव की आरती के बाद क्या करना चाहिए?
- चंद्र देव की आरती अर्थ सहित
Chandra Dev Ki Aarti Lyrics In Hindi ( चंद्र देव की आरती लिरिक्स इन हिंदी)
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा ।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।
रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी ।
दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि।
योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें ।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा।
वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी।
शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे।
विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें।
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।
चंद्र देव की आरती का महत्व
चंद्र देव को अर्घ्य देने के साथ पूजा करने के साथ अंत में आरती अवश्य करें। ऐसे करने से आध्यात्मिक, मानसिक शांति मिलती है। चंद्रमा को मन और भावना का प्रतीक माना जाता है। इस आरती को करने से शुद्ध विचार उत्पन्न होते हैं। इसके साथ ही चंद्र दोष से भी मुक्ति मिल सकती है। अच्छी नींद आने के साथ स्वप्नदोष से भी निजात मिल सकती है। सोमवार के व्रत या चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद चंद्र देव की आरती करना पूजन का पूर्ण फल मिलता है।
चंद्र देव की आरती करने के लाभ
- चंद्र देव की आरती करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। इसके साथ ही भावनाएं और शक्ति कंट्रोल में रहती है।
- चंद्र देव को सोलह कलाओं का स्वामी कहा जाता है। ऐसे में इस आरती को करने से संपूर्ण व्यक्ति, कला, सौंदर्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर है, तो आपको मन अस्थिर रहने के साथ डिप्रेशन या फिर मां के साथ संबंध खराब होते हैं। इस आरती को करने से इस दोष से मुक्ति मिलती है।
- चंद्रमा को माता का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसे में इस राशि को करने से माता-पिता का हमेशा साथ मिलता है।
- जिन जातकों को नींद न आने की समस्या है या फिर बुरे सपनों से परेशान है, तो चंद्र देव को अर्घ्य देने के साथ ये आरती करना शुभ होगा।
- चंद्र देव की आरती करने से आत्मविश्वास में तेजी से वृद्धि होती है।
चंद्र देव की आरती कैसे करें
सोमवार या फिर पूर्णिमा, चंद्र दर्शन के दिन रात को चंद्रमा को जल अर्पण करें। इसके बाद सफेद फूल, चंदन, चावल या खीर, दूध आदि चढ़ाएं और ॐ सोम सोमाय नमः का जाप करें। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर इस आरती के साथ चंद्र देव की आरती करें।
चंद्र देव की आरती का सही समय?
चंद्रमा की आरती चंद्रोदय के बाद करना सबसे ज्यादा अच्छा माना जाता है। यह समय अक्सर शाम 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजकर 30 मिनट के बीच होता है।
चंद्र देव की आरती के बाद क्या करना चाहिए?
चंद्र देव की आरती करने के बाद हाथ जोड़कर उनसे मन ही मन कामना करते हुए बोलना चाहिए कि “हे सोमदेव! मेरी बुद्धि, मन और चित्त को शांति दो। मेरे परिवार में सुख, स्वास्थ्य और संतुलन बनाए रखो।” इसके बाद आरती का आचमन कर लें और चंद्र देव को चढ़ाया हुआ प्रसाद वितरण कर दें। इसके बाद थोड़ी देर चंद्रमा को देखते रहें या फिर आंखे बंद करके ध्यान करें।
चंद्र देव की आरती अर्थ सहित
आरती- ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।
दुःख हरता सुख करता, जय आनंदकारी॥
अर्थ- हे चंद्रदेव! आपको मैं नमन करता हूं। आप दुखों को हरने वाले, सुखों को देने वाले और आनंद प्रदान करने वाले हैं।
आरती- चमकते निर्मल वदन, कोमल किरणें छाया।
शिवशेखर शशिधर, जगत में ज्योति छाया॥
अर्थ- आपका मुख उज्ज्वल और निर्मल है, आपकी कोमल किरणें संसार को शीतलता देती हैं। आप भगवान शिव के मस्तक पर सुशोभित हैं और जगत को ज्योति प्रदान करते हैं।
आरती- रोहिणी प्रिय सुहागिन, सौंदर्य के अधिकारी।
सोलह कला संपूर्ण, रूप तेज भारी॥
अर्थ- आप रोहिणी माता के प्रिय पति हैं इसके साथ ही आप सौंदर्य के स्वामी हैं। आप सोलह कलाओं से युक्त, तेजस्वी और आकर्षक हैं।
आरती- मन के अधिपति हो तुम, भावनाओं के राजा।
शीतलता के स्रोत, शांतिमय साज सजाया॥
अर्थ- आप मन और भावनाओं के स्वामी हैं। आप शीतलता और शांति के स्रोत हैं, आपके प्रकाश से जीवन मधुर बनता है।
आरती- आरती जो कोई गावे, मनवांछित फल पावे।
शरण पड़े जो तेरे, भय कभी न आवे॥
अर्थ- जो भी भक्त आपकी आरती को गाता है, तो उसकी हर एक इच्छा पूरी हो जाती है। इसके साथ ही आपकी शरण में जो आता है, तो वह हर एक भय से मुक्त हो जाता है।