इस बार की पूर्णिमा में एक अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा, क्योंकि करीब 149 साल बाद पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ पड़ रहा है। यह नजारा 16 और 17 जुलाई को देखने को मिलेगा। श्रद्धालु डेढ़ बजे के पहले ही गुरु की पूजा कर सकेंगे। चंद्र ग्रहण 16 जुलाई की दोपहर डेढ़ बजे से सूरतकल शुरू होगा और यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा।

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ज्योतिषियों की मानें तो: ऐसा पहले भी हो चुका है। इसके पहले ऐसा ग्रहण 149 साल पहले हुआ था यानि 12 और 13 जुलाई 1870 को। ज्योतिषियों के मुताबिक तब गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ पड़े थे और उस वक्त शनि चन्द्रमा राहु और केतु के साथ धनु राशि में थे और इसके साथ ही मिथुन राशि में सूर्य और राहु एक साथ प्रवेश कर गए थे। इस बार ये घटना आषाढ़ मास की पूर्णिमा यानि गुरुपूर्णिमा हो होने जा रही है। इस बार कि गुरु पूर्णिमा में चंद्र ग्रहण देखने को मिलेगा और इस चंद्रग्रहण को खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है। ज्योतिषियों के हिसाब से इस बार का चंद्र ग्रहण 3 घंटे तक चलेगा और इस ग्रहणकाल में प्रकृति के भीतर कई तरह की नकारात्मक और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है इस कारण कई ऐसे काम हैं जिन्हें नहीं करना चाहिए।

क्या होता है चंद्र ग्रहण: पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ अपने सौरमंडल के सूर्य के चारों ओर भी चक्कर लगाती है। दूसरी ओर, चंद्रमा दरअसल पृथ्वी का उपग्रह है और उसके चक्कर लगता है, इसलिए, जब भी जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी छाया में आ जाता है तो इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं। चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा को ही घटित होता है। चंद्र ग्रहण के समय शुरू में चंद्रमा पहले तो काले रंग का होता है फिर धीरे-धीरे लाल रंग में बदल जाता है।