विश्व योग दिवस के मौके पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड मेडिसिन एंड रिसर्च खोला जाएगा। इसका उद्घाटन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा करेंगे। इस केंद्र में आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ योग, आयुर्वेद व यूनानी इलाज पद्धतियों को जोड़कर मरीज के संपूर्ण स्वास्थ्य पर काम किया जाएगा। यह जानकारी एम्स निदेशक डॉ एमसी मिश्र ने दी।

विश्व योग दिवस के मद्देनजर एम्स में योग पर परिचर्चा की गई जिसमें चिकित्सा के तमाम विभागों के विशेषज्ञ शामिल थे। इस मौके पर डॉ मिश्र ने कहा कि योग के सार्थक प्रभावों व सफल नतीजों की लंबी फेहरिश्त तो है, लेकिन इस पर अभी तक साक्ष्य आधारित नतीजों की वैज्ञानिक पड़ताल नहीं की गई। यह पहला मौका है जब प्रधानमंंत्री की पहल पर देश ही नहीं पूरी दुनिया में योग के वैज्ञानिक पहलुओं पर नजर डाली जा रही है। एम्स योग सेंटर के संयोजक व हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ गौतम शर्मा ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति में केवल बीमारी का इलाज होता है, जबकि योग व पारंपरिक इलाज पद्धति में बीमारी के उपचार के साथ ही बचाव की दिशा में भी काम होता है।

केंद्र में इस पर भी शोध किया जाएगा। स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान के चांसलर डॉ एचआर नागेंद्र ने कहा कि योग से सभी बीमारियों में फायदा हो सकता है। सभी बीमारियों के लिए एक ही योग नहीं बल्कि अलग-अलग मर्ज का इलाज योग की अलग-अलग मुद्राओं से संभव है। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार योग पर दूरगामी नतीजों वाली योजनाओं परकाम कर रही है। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से दूरगामी नतीजों के लिहाज से देश के छह केंद्रीय विश्वविद्यालयों में योग पर पढ़ाई शुरू की जाएगी। जिसमें डिप्लोमा, डिग्री, सर्टिफिकेट व अन्य पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे।

डॉ नागेंद्र ने बताया कि देश भर के गावों सहित तमाम इलाकों तक योग को पहुंचाया जाएगा। पंचायतों तक को योग कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि योग के जरिए डायबिटीज के इलाज को लेकर देश भर में मुहिम चलाई जा रही है। इसमें देखा जाएगा कि दवा या इंसुलिन ले रहे लोगों को योग के जरिए इससे निजात मिले। इसमें कुछ मामलों में सफलता भी मिली है। उन्होंने बताया कि योग से कई तरह के कैंसर के इलाज में भी सफलता मिली है। एम्स कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ चंद्रकांत पांडव ने कहा कि उन्होंने योग की पढ़ाई को नेशनल रिफॉर्म्स मेडिकल कैरिकुलम में शामिल करने का प्रस्ताव साल 2005 में ही दिया था, लेकिन अब तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। अब मोदी सरकार ने इस दिशा में पहल की है।