उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष रामाशीष राय के बयान के बाद समाजवादी पार्टी के साथ उसके गठबंधन को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इसके बाद पार्टी को सफाई देनी पड़ी है। पार्टी ने कहा कि सपा के साथ रालोद का गठबंधन मजबूत है और साथ-साथ काम कर रहा है। हालांकि, पार्टी की तरफ से सफाई देने के बाद भी इस बात को लेकर चर्चाएं हैं कि आखिर रालोद के साथ समाजवादी पार्टी का गठबंधन कब तक रहने वाला है।

इससे पहले रामाशीष राय ने अपने बयान में कहा था कि राष्ट्रीय लोकदल ने फैसला किया है, यह राष्ट्रीय कार्यकारिणी का फैसला है कि पूरे उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए और संगठन की मजबूती के लिए हम स्थानीय निकाय चुनावों में अकेले लड़ेंगे।

उनके इस बयान ने उत्तर प्रदेश का सियासी माहौल गरमा दिया था। इसके बाद चर्चाएं शुरू हो गई थीं कि क्या आने वाले दिनों में सपा-रालोद का गठबंधन टूट सकता है। इस पर विवाद बढ़ता देख रालोद के विधायक चंदन चौहान ने सफाई दी और कहा कि सपा-रालोद का गठबंधन था, है और रहेगा।

उन्होंने कहा, ” विपक्ष के सभी नेताओं को एकजुट करके हम गठबंधन में हैं और मैं आश्वस्त करता हूं कि यह विश्वास आगे भी जारी रहेगा। माननीय जयंत चौधरी के ऑफिस से आधाकारिक बयान भी जारी किया गया कि एक समिति नगर निकाय चुनाव के लिए बनाई गई है और निकाय चुनाव पर समिति की जो रिपोर्ट होगी उस पर जयंत चौधरी जी निर्णय लेंगे और रिपोर्ट आने वाले चुनाव में जाएगी। और कोई अधिकृत शख्स हमारी पार्टी में नहीं है, जो इस पर निर्णय ले सके।”

उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेशाध्यक्ष को राष्ट्रीय अध्यक्ष का संदेश मिल गया होगा, इस बयान के बाद। आगे से वो इस तरह का बयान देते हुए थोड़ा समझकर बोलेंगे।

हालांकि, अभी भी रालोद के प्रदेशाध्यक्ष के बयान को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने वाली बात के पीछे राष्ट्रीय कार्यकारिणी के फैसले का हवाला दिया था।