Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कड़े आदेश में फतेहपुर के डीएम और एसपी को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि वह इस तरह का कोई भ्रम ना पालें कि उनमें कोर्ट की इज्जत बनाने और बिगाड़ने की ताकत है। डीएम जैसे अफसरों से निपटने और अपनी गरिमा को बरकरार रखने के लिए कोर्ट उनके आश्वासन का मोहताज नहीं है। कोर्ट ने डीएम को निर्देश दिया कि वह यह बताते हुए एक शपथपत्र दाखिल करें कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस जेजे मुनीर की बेंच ने कखरेरू थाने के स्टेशन इंचार्ज को भी अगली सुनवाई के दौरान मौजूद रहने का आदेश दिया है। अब पूरे मामले पर गौर करें तो यह फतेहपुर के कलपुर मजरे बसवा गांव का है। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में कहा कि कुछ भूखंड जो रिकार्ड में खेल का मैदान तालाब और खलिहान के रूप में दर्ज हैं, पर ग्राम प्रधान द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है।

कोर्ट ने लिया था संज्ञान

इतना ही नहीं याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि याचिका को वापस लेने के लिए दबाव भी बनाया जा रहा है। कोर्ट ने इस गंभीर आरोप का संज्ञान लेते हुए डीएम और एसपी को हलफनामा दाखिल करने को कहा था। डीएम की तरफ से दायर किए गए हलफनामे में आरोपों से इनकार कर दिया गया। डीएम ने दाखिल हलफनामे के एक पैराग्राफ में कहा, ‘शपथकर्ता अत्यंत सम्मान के साथ इस माननीय न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगता है, यदि जिला प्रशासन की कार्रवाई से किसी भी असुविधा या गलतफहमी की स्थिति उत्पन्न हुई हो।’

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जिलाधिकारी पर तल्ख टिप्पणी

जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि याचिकाकर्ता समेत किसी भी शख्स को निशाना बनाए बिना सार्वजनिक हित और कानून के हिसाब से कार्रवाई की गई है। इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस जेजे मुनीर की बेंच ने कहा कि हलफनामे में इस्तेमाल किए गए शब्दों से लगता है कि डीएम भ्रम में हैं कि वे कोर्ट की गरिमा को बढ़ाने और घटाने की ताकत रखते हैं। साथ ही कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि डीएम फतेहपुर नया एफिडेविट दाखिल करें और बताएं कि उनके इन शब्दों के लिए उनके खिलाफ क्यों कार्रवाई ना की जाए। ग्रामसभा समेत सभी अधिकारियों के शपथ पत्र पर याची को 6 मई तक जवाब दाखिल करने की मोहलत दी है। आधे से कम जजों से चल रहा हाई कोर्ट