सरकार ने धान की रोपाई के लिए 1 जून की तारीख तय की है जब नर्सरी में बोई गई फसल को खेतों में ले जाया जाता है। दरअसल, अब तक पंजाब में धान की बुआई शुरू हो जानी चाहिए थी। हालांकि, किसान अभी भी इस बात पर कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं कि वे कौन से बीज इस्तेमाल कर सकते हैं और उनकी चिंता बढ़ती जा रही है।

7 अप्रैल को पंजाब सरकार ने उच्च कीमतों और लो मिलिंग एफ़िशिएन्सी की चिंताओं के कारण हाइब्रिड पैडी सीड्स की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। इसे कानूनी रूप से चुनौती दी गई और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में सुनवाई की अगली तारीख 13 मई है, जिसके बारे में कई किसानों का मानना ​​है कि बहुत देर हो चुकी है।

ऐसे में जहां कुछ लोग हाइब्रिड बीज खरीदने के लिए पड़ोसी राज्य हरियाणा की ओर रुख कर रहे हैं, वहीं अन्य अभी भी विकल्प तलाश रहे हैं। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि पंजाब के कई किसान क्यों मानते हैं कि हाइब्रिड धान के बीज उनके लिए महत्वपूर्ण हैं? हाइब्रिड बीजों के क्या फायदे हैं और उन्हें कैसे विकसित किया जाता है?

हरित ऊर्जा उत्पादन के नए आयाम, भारत के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करने का बन सकता है बड़ा स्रोत

पंजाब को हाइब्रिड धान बीज की आवश्यकता क्यों है?

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली के पूर्व निदेशक एवं सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ एके सिंह ने कहा कि हाइब्रिड बीज, अधिक पानी की खपत वाली फसल धान के लिए महत्वपूर्ण हैं, साथ ही यह उपज के स्तर का भी ध्यान रखते हैं। हाइबिड चावल की किस्में आमतौर पर पारंपरिक किस्मों की तुलना में प्रति हेक्टेयर 1 से 1.5 टन ज्यादा उपज देती हैं। डॉ सिंह ने कहा कि कम अवधि (लगभग 130 से 135 दिन) वाली हाइब्रिड किस्मों से फसल जल्दी मिलेगी, गेहूं की बुवाई आसान होगी और पानी का कम इस्तेमाल होगा।

हाइब्रिड किस्में कैसे बनाई जाती हैं?

इन किस्मों को रिसर्च लैब में विकसित किया जाता है, जहां बीजों को कुछ खास क्वालिटी हासिल करने के लिए डेवलप किया जाता है। नेशनल टेस्टिंग स्टैंडर्ड को पूरा करने के बाद ही उन्हें कमर्शियल खेती के लिए मंजूरी दी जाती है।

पंजाब में चावल की खेती में किन सुधारों की जरूरत है?

डॉ सिंह सिंह ने पंजाब में चावल की खेती के भविष्य के लिए दो महत्वपूर्ण कारकों की पहचान की – कम अवधि वाली, उच्च उपज वाली किस्मों की उपलब्धता और रोपाई वाले चावल की खेती से सीधे बीज वाले चावल (DSR) की खेती की ओर बदलाव। डीएसआर खेती का मतलब है खेत में सीधे बीज बोना, जिससे पानी और श्रम की बचत होती है। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स