कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 60 आपराधिक मामलों को वापस ले लिया है। सिद्धारमैया सरकार ने जो मुकदमे वापस लिए गए हैं उनमें 2019 कि उस घटना से जुड़ा मामला भी शामिल है जिसमें वर्तमान डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार के समर्थकों ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई के खिलाफ कनकपुरा में आगजनी और पथराव किया था। शिवकुमार के भाई डी. के. सुरेश को भी 2012 के एक मामले में राहत दी गई है, सरकार ने उस केस को भी वापस ले लिया है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक वापस लिए गए 60 मामलों में से 11 केस डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के समर्थकों से जुड़े हुए हैं। यहां भी एक मामला तो पुलिस चौकी पर हमला करने को लेकर था। इसके अलावा 2019 में कुलबुर्गी में हुईं हिंसा से जुड़ा केस भी वापस लिया जाएगा।
यह मामला 2019 में कलबुर्गी में मवेशियों को लेकर जा रही गाड़ी को पकड़ने के बाद हुई हिंसा से जुड़ा हुआ है। मंत्री प्रियांक खड़गे के अनुरोध के बाद मंत्रिमंडल ने यह फैसला किया। इस मामले में दंगा करने, पुलिस पर हमला करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसी धाराएं लगाई गई थीं क्योंकि मवेशी और एक वाहन जब्त किए जाने के बाद भीड़ ने थाने पर हमला कर दिया था।
वैसे कर्नाटक की राजनीति से एक बड़ी खबर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को लेकर भी सामने आई है। MUDA प्लॉट आवंटन घोटाले मामले में उन्हें और उनकी पत्नी को क्लीन चिट मिली है। क्लीन चिट देने वाले आयोग की रिपोर्ट को भी अब मंजूरी मिल चुकी है।
क्या है MUDA Scam Case?
MUDA केस की बात करें तो यह मामला मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण का है, जिसे MUDA कहते हैं, जो कि एक ऑटोनामस बॉडी मानी जाती है। इसके अलावा इसी प्राधिकरण की ही जिम्मेदारी जमीनों के आवंटन की भी है। इस पूरे मामले की शुरुआत 2004 से होती है, उस समय मुआवजे के तौर पर जमीन के पार्सल के आवंटन से जुड़ा है और उस दौरान भी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ही थे। इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया में अनियमितताएं हुई हैं। इससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ है। इस कथित भ्रष्टाचार के मामले में MUDA के भी कई अधिकारियों के नाम सामने आए हैं।