Who is German Citizen Chennamaneni Ramesh: तेलंगाना के बीआरएस नेता डॉक्टर चेन्नामनेनी रमेश (Chennamaneni Ramesh) इस समय चर्चा का विषय बने हुए हैं। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में उन्हें भारत का नहीं बल्कि जर्मनी का नागरिक माना है, उन पर चुनाव के समय फर्जी दस्तावेज पेश करने के आरोप भी लगे हैं। असल में अगर कोई भारत का नाररिक नहीं है तो उसे चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं। लेकिन यहां तो रमेश चेन्नामनेनी चार बार वेमुलावाड़ा सीट से चुनाव जीते थे।
जर्मन नागरिक Chennamaneni Ramesh विवादों में कैसे फंसे?
अब कोर्ट ने तो अपने आदेश में साफ कहा है कि चेन्नामनेनी यह साबित करने में विफल रहे हैं कि वे भारत के नागरिक हैं। इसी वजह से उन्हें 30 लाख रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा। इसके ऊपर यहां भी 25 लाख रुपये तो उन्हें कांग्रेस नेता श्रीनिवास को देने होंगे क्योंकि उन्होंने 2023 के चुनाव में उन्हें हरा दिया था। अब चेन्नामनेनी तो आज भी मानते हैं कि वे भारत के नागरिक हैं, लेकिन सारे सबूत उनके खिलाफ जा रहे हैं।
कौन हैं चेन्नामनेनी रमेश- Who is Chennamaneni Ramesh
डॉक्टर रमेश चेन्नामनेनी के चुनावी डेब्यू की बात करें तो वे सबसे पहले साल 2004 में चुनाव लड़े थे। असल में रमेश के पिता 2004 में सिरकिला से चुनाव जीत गए थे, लेकिन अपने बेटे को राजनीति में आगे करने के लिए उन्होंने उसे वेमुलावाड़ा से नॉमिनेशन दिलवा दिया। इसके बाद तो पहले टीडीपी और फिर बीआरएस की टिकट पर रमेश चेन्नामनेनी इसी सीट से चुनाव जीतते रहे और उनकी लोकप्रियता भी बढ़ती गई। स्थानीय लोग बताते हैं कि उनकी जनता के बीच में अच्छी पकड़ थी। लेकिन बाद में टीडीपी छोड़ उन्होंने बीआरएस का दामन था और तेलंगाना को राज्य का दर्जा दिलवाने के लिए निकल पड़े।
बताया जाता है कि केसीआर के साथ चेन्नामनेनी के संबंध काफी अच्छे थे, इसके ऊपर क्योंकि वे खुद काफी पढ़े-लिखे रहे, इसका असर भी काफी पड़ा। जब नागरिकता विवाद की वजह से उनका चुनाव लड़ना मुश्किल होता चला गया, उन्होंने कुछ समय के लिए केसीआर की सरकार में ही एक सलाहकार की भूमिका भी निभाई। लेकिन फिर कांग्रेस की सरकार बन गई और रमेश चेन्नामनेनी सियासी हाशिए पर चले गए। उनके बारे में और ज्यादा जानने के लिए यहां क्लिक करें