महाराष्ट्र में राजनीति का रंग लगातार बदलता रहा है। 2014 से पहले तक जहां राज्य में क्षेत्रवाद के मुद्दे को लेकर राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का दबदबा बन रहा था, वहीं इसके बाद भाजपा और शिवसेना ने पार्टी के असर को धीरे-धीरे कम कर दिया। कई लोगों का मानना है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के खिलाफ बयानबाजी करने और हिंसा फैलाने की राज ठाकरे की राजनीति को लोगों ने नकार दिया। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जब राज ठाकरे से इसी मुद्दे पर सवाल किया गया था, तब उन्होंने समझदारी से कहा था कि वे यूपी-बिहार के लोगों के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि उनकी राजनीति के खिलाफ हैं।
क्या था एंकर का सवाल?: इंडिया टीवी के चर्चित शो आप की अदालत में करीब सात साल पहले एंकर रजत शर्मा ने मनसे प्रमुख से पूछा था कि मुंबई में कर्नाटक से लोग आते हैं, गुजरात से आते हैं, राजस्थान, आदि हर जगह से लोग आते हैं। लेकिन आपके निशाने पर सिर्फ बिहारी क्यों होते हैं?
इस पर राज ठाकरे ने कहा था- “उत्तर प्रदेश और बिहार से जो लोग आते हैं, हर कोई कहता है कि काम के लिए आ रहे हैं। वे कुछ समय काम भी करते रहते हैं। लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता आपको पता चलता है कि वे अपनी कॉन्स्टिट्यूएंसी बनाने लगते हैं।” ठाकरे ने उदाहरण देते हुए कहा था कि आजमगढ़ या प्रतापगढ़ से एक आदमी अबु आजमी महाराष्ट्र आया। वो यहां दो जगहों से चुनकर आया। आप वो दो जगहें जा कर देखिए। वहां यहां पर रहने वाले जो लोग हैं, बरसों से, वो अब हैं ही नहीं। यूपी से जो कुछ आए लोग हैं, जिनको वहां बसाया गया है उनकी बदौलत चुन कर आते हैं। तो ये जो राजनीति जो कर रहे हैं काम के नाम से, मैं उसके खिलाफ हूं।
राज ठाकरे ने आगे कहा, “अगर देखा जाए, तो मेरे ऐसे कई सारे मित्र हैं, जो यूपी के हैं, अच्छी मराठी बोल लेते हैं, मराठी स्कूल के पढ़े हैं। उनको कभी दिक्कत नहीं आई। मुझे भी कभी नहीं लगा कि वे बाहर के हैं। मेरे कई सारे गुजराती दोस्त हैं, कई मुस्लिम दोस्त हैं। अगर मैं इस तरह की राजनीति करता तो क्या वो मेरे दोस्त रहते।”