दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की वर्कशॉप में बीते 21 अगस्त को हुई एक चालक की मौत के पीछे की सच्चाई क्या है, यह अभी जांच का विषय है, लेकिन मृतक के परिजन और डीटीसी वर्क्स यूनियन लगातार आरोप लगा रहे हैं कि यह दुर्घटना वर्कशॉप के कर्मचारियों की लापरवाही से हुई है।

यूनियन ने डीटीसी पर मामले की लीपापोती का आरोप भी लगाया है। वहीं डीटीसी का तर्क है कि बस अपने आप चलकर पटरी को टक्कर मारते हुए दीवार से टकराई और उसी बीच ड्राइवर भोज सिंह उर्फ अजय (30) इसकी चपेट में आ गया, जिससे उसकी मौत हो गई। यूनियन का कहना है कि द्वारका डिपो-2 की वर्कशॉप में हुई इस दुर्घटना में बस बिना चालक के कैसे चल पड़ी। यह बात भी समझ से परे है कि बस वर्कशाप से गेट तक कैसे पहुंची और फिर पटरी पर कैसे चढ़ गई। लो-फ्लोर बसों में कुछ आधुनिक तकनीकें होती हैं, जिस कारण नहीं बस आगे बढ़ सकती और न ही रफ्तार पकड़ सकती हैं। अगर बस खड़ी होती है तो हैंड ब्रेक लगा होता है। एयर प्रेशर कम होने से भी बस आगे नहीं बढ़ेगी और अगर बस में गियर लगा हो तो वह चालू नहीं होती है। इसके साथ ही इंजन की गति एक स्तर पर हुए बिना बस आगे बढ़ ही नहीं सकती।

यूनियन का आरोप है कि बस को असल में कोई चला रहा था। जबकि डीटीसी की ओर से इस मामले में किसी को बचाने की कोशिश की जा रही है। यूनियन का आरोप है कि प्रबंधन डिपो में लगे कैमरे को भी 15 अगस्त से खराब बता रहा है, जबकि इसकी खराबी की अब तक कोई शिकायत नहीं है। यूनियन का कहना है कि वर्कशॉप में लगे कैमरे की दिशा को भी पहले ही बदल दिया गया था। डीटीसी वर्क्स यूनियन के उपमहासचिव ज्ञान चंद का कहना है कि जहां पर यह दुर्घटना हुई है वहां एक नहीं बल्कि दो-दो बसें एक साथ दुर्घटनाग्रस्त हुई थीं, इसको भी छुपाने की कोशिश की जा रही है। दोनों ही बसें करीब डेढ़ फीट ऊंची पटरी पर चढ़ गर्इं और आगे जाकर दीवार से टकरा गर्इं। इन्ही के चपेट में आने से चालक अजय की मौत हुई।

यूनियन ने इस मामले की निष्पक्षता से जांच कराने की मांग को लेकर एक रिपोर्ट भी बनाई है। रिपोर्ट में घटना के तकनीकी पहलू रखे गए हैं। यूनियन ने बताया कि उसने रिपोर्ट मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल, परिवहन मंत्री और डीटीसी को भेज दी है।