मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में 15 याचिकाओं पर हाईकोर्ट में एकसाथ सुनवाई की जा रही है। मुस्लिम पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग मामलों पर अलग सुनवाई की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को कोई राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया था कि CPC के आर्डर 7 नियम 11 के तहत मुकदमे की स्थिरता सहित विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई जारी रहेगी। आखिर सीपीसी की इस धारा का मतलब क्या होता है और ज्ञानवापी मामले से इसकी क्या समानता है, इसे विस्तार से समझते हैं।
क्या है ऑर्डर 7 रूल नंबर 11?
सिविल प्रोसीजर कोड के ऑर्डर 7 रूल नंबर 11 (Order VII Rule 11) के तहत दायर याचिका पर कोर्ट को मामले की मेरिट पर फैसला करना होता है। इसमें कोर्ट यह तय करता है कि मामला सुनवाई के लायक है कि या नहीं। किसी भी मामले में वादी पक्ष द्वारा जो मांग की जा रही है क्या वह कोर्ट के दायरे में आती है, इस पर कोर्ट को फैसला करना है। अगर कोर्ट के दायरे में नहीं आता है तो कोर्ट इस मामले को सुनने से ही इनकार कर सकता है.
क्या चाहता है मुस्लिम पक्ष?
शाही ईदगाह मामले में मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मामला प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 (Places of Worship Act) के तहत आता है। ऐसे में इस मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती है। इससे पहले वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में भी मुस्लिम पक्ष की ओर से इसी को आधार बनाकर केस रद्द करने की मांग की गई थी लेकिन मुस्लिम पक्ष को कोर्ट से झटका लगा था।
क्या है पूरा मामला?
मथुरा के श्रीकृष्णा जन्मभूमि और शाही ईदगाह से संबंधित कई याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई की जा रही है। हिंदू पक्ष द्वारा दाखिल याचिकाओं में दावा किया गया है कि मस्जिद का निर्माण कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर किया गया है। वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील दी जा रही है कि हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल याचिकाएं पोषणीय नहीं है। 1968 में हुए समझौते को लेकर भी मुस्लिम पक्ष ने दलील पेश की है। इसमें कहा गया है कि केशव देव कटरा की 13.7 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद को दी गई है। इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष ने 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, लिमिटेशन एक्ट, वक्फ एक्ट और स्पेशल रिलीफ एक्ट का हवाला दिया हैं।