पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जिस ऊर्जा के साथ चुनाव प्रचार कर रही हैं, उनकी उम्र का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। कागजों पर ममता बनर्जी की उम्र 66 साल हो गई है। हालांकि उनकी सही उम्र इससे पांच साल कम ही है। यह बात उन्होंने खुद बताई थी कि स्कूल लीविंग एग्जाम में शामिल कराने के लिए उनके पिता ने फर्जी डेट ऑफ बर्थ लिखवा दी थी जो उनके जीवने के साथ ही जुड़ गई।
उन्होंने अपने मेमॉयर ‘माइ अनफॉरगेटेबल मेमोरीज’ में अपनी उम्र के बारे में सच लिखा था। उन्होंने लिखा, ’15 साल की उम्र में ही मुझे स्कूल के फाइनल एग्जाम में बैठा दिया गया था। उस वक्त मेरी उम्र कम होने की वजह से मुझे फेल कर दिया गया। इस समस्या से निकलने के लिए मेरे पिता ने नकली उम्र और जन्मदिन दर्ज करवा दिया। इसी वजह से मेरी असली उम्र में पांच साल जुड़ गए।’
किताब के मुताबिक ममता बनर्जी का जन्म 5 जनवरी को नहीं बल्कि 5 अक्टूबर को हुआ था। उन्होंने यह भी बताया कि कुंडली बनवाने के लिए उनकी मां ने सही डेट ऑफ बर्थ बताई थी। उन्होंने लिखा, ‘मेरी मां मेरा जन्मदिन दुर्गा अष्टमी को मनाया करती थीं जो कि अकसर अक्टूबर में ही पड़ती है। इस मौके पर चावल के स्पेशल पकवान बनाए जाते थे।’ बता दें कि लोकसभा की वेबसाइट पर भी ममता बनर्जी का जन्मदिन 5 जनवरी 1955 को ही दिखाता है।
ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। 1975 में वह पश्चिम बंगाल में महिला कांग्रेस (आई) जनरल सेक्रटरी बनकर राजनीति में आई थीं। 1998 में वह कांग्रेस से अलग हो गईं और अपनी पार्टी बना ली। साल 2011 में टीएमसी को जीत हासिल हुई और पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज हुई। इससे पहले तीन दशक तक पश्चिम बंगाल में लेफ्ट पार्टी का बोलबाला था।
1984 में उन्हें लोकसभा का पहला टिकट भी कांग्रेस पार्टी से ही मिला था। जब उन्होंने अपनी पार्टी बनाई तो उस वक्त भी अटल बिहारी वाजपेयी से काफी नजदीकी थी। 2002 में वह रेलमंत्री बनीं। IRCTC की स्थापना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।