पश्चिम बंगाल में अगले छह महीने में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है। उनके बेहद करीबी रहे मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। वह लंबे समय से ममता से नाराज चल रहे थे। बीच में यह भी चर्चा थी कि पश्चिम बंगाल में इस बार टीएमसी की चुनावी रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर ने उनसे मुलाकात भी की थी लेकिन बात बनी नहीं।
चुनावी रणनीति का जिम्मा प्रशांत किशोर को दिए जाने से भी ममता बनर्जी के कई विधायक नाराज हैं। शुभेंदु अधिकारी ममता सरकार में ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर थे। उन्होंने राज्य सरकार की तरफ से मिलने वाली सुरक्षा भी छोड़ दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हो सकता है कि वह बीजेपी के संपर्क में हों और आगे बड़ी घोषणा करें। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपने पोस्टर से ममता बनर्जी की तस्वीर भी हटवा दी थी। सौगात रॉय ने उनके साथ हाल में ही दो बार बैठक की है। शुभेंदु का कहना है कि पहले ममता बनर्जी के इशारों पर पार्टी चलती थी लेकिन पिछले कुछ दिनों से प्रशांत किशोर के इशारों पर ही पार्टी की दिशा तय हो रही थी।
शुभेंदु अधिकारी ने अभी एक दिन पहले ही हुगली रिवर ब्रिज कमिश्नर के पद से इस्तीफा दिया था। कहा जा रहा है कि पार्टी में ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी का कद बढ़ने से भी वह नाराज हैं। शुभेंदु ममता बनर्जी के बेहद करीबी और बड़े नेता हैं। वह शुरू से ही ममता बनर्जी के साथ हैं और कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। यह भी कहा जाता है कि नंदीग्राम आंदोलन की भूमिका भी शुभेंदु ने ही तय की थी। दक्षिण बंगाल में उनका प्रभाव है। उनके पिता और भाई भी सांसद हैं।
West Bengal: Suvendu Adhikari resigns as the state Transport Minister pic.twitter.com/lagBRIrE3w
— ANI (@ANI) November 27, 2020
तृणमूल के विधायक नियामत शेख ने भी पार्टी के निर्णयों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा था, ‘क्या अब हम पीके से राजनीति सीखेंगे?’ कूचे बेहार के विधायक मिहिर गोस्वामी ने भी अपना असंतोष जाहिर किया था। वह दो महीने पहले ही पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि पार्टी को ठेकेदार के हाथ में दे दिया गया है। चुनाव से पहले प्रशांत किशोर के सामने भी सबसे बड़ी यही चुनौती है कि वह पार्टी को ही संगठित करें और नेताओं का असंतोष दूर करें।
