पश्चिम बंगाल में ईस्ट मिदनापुर के उत्तर रानीचौंक में स्थित सालिसी सभा (कंगारू कोर्ट) ने एक महिला से जबरन उठक-बैठक लगवाई। सभा के इस फरमान से 18 साल की महिला को कथित तौर पर अपना गर्भपात करवाने के लिए मजबूर होना पड़ा। पीड़िता को एक पुरुष से प्रेम प्रंसग और बाद में उससे शादी करने के चलते यह सजा दी गई। पुलिस ने बताया कि एक एफआईआर गांव के मुखिया शेख रबिबुल मुलिक और सचिव शेख अशरफ अली, जिसने कंगारू कोर्ट बुलाया, के खिलाफ दर्ज की गई है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वो इस बात से खुश नहीं थे कि महिला ने करीब तीन महीने पहले 21 साल के एक कारपेंटर से शादी कर ली। इसलिए गांव के मुखिया कथित तौर पर गांव को बदनाम करने के लिए उसे सबक सिखाना चाहते थे। अधिकारी के मुताबिक, ‘महिला से दस उठक-बैठक लगवाईं। इस दौरान महिला बेहोश हो गई तो होश में लाने के लिए उसके पेट में लात मारी गईं। हालत खराब हुई तो उसे तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने महिला को उसके गर्भपात की जानकारी दी।’
बता दें कि मामला तब प्रकाश में आया जब पीड़िता के परिजनों ने पुलिस को तीन पन्नों की शिकायत दी। इसमें बताया गया कि उनकी बेटी को गांव के मुखिया और अन्य लोगों ने बुरी तरह प्रताड़ित किया। शिकायत में मुलिक, अशरफ और तीन गवाहों के नाम लिखे गए हैं। सब डिविजनल पुलिस ऑफिसर तमनोय मुखर्जी ने संडे एक्सप्रेस को बताया, ‘पीड़िता के परिजनों ने शिकायत दर्ज कराई है। आरोपियों की पकड़ने की कोशिश की जा रही है। हालांकि अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।’
परिजनों की शिकायत पर एक पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 313, 314 औ 307 के तहत केस दर्ज किया गया है। इसके अलावा पीड़िता का बयान भी दर्ज कर लिया गया है। केस से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मेडिकल टेस्ट के बाद आरोपों की पुष्टि हो पाएगी। वहीं महिला के साथ हुए इस व्यवहार की निंदा करते हुए टीएमसी ब्लॉक लीडर शेख मैनुद्दीन ने बताया कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पुलिस को तुरंत अपराधियों को गिरफ्तार करना चाहिए।
