पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा का दौर जारी है। इसमें बीजेपी के दो जबकि तृणमूल के एक कार्यकर्ता की जान जा चुकी है। इसके अलावा, एक बीजेपी कार्यकर्ता लापता बताया जा रहा है। दोनों पार्टियों की ओर से एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। वहीं, नॉर्थ 24 परगना के बशीरहाट सब डिविजन में आने वाले दो गांवों में माहौल खराब है। संदेशखली आई ब्लॉक के तहत आने वाले बंगीपाड़ा गांव भी इनमें शामिल है। बीजेपी के मृत और लापता, दोनों ही कार्यकर्ता इसी क्षेत्र से आते हैं। बीजेपी कार्यकर्ता प्रदीप मंडल की शनिवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद से ही उनकी 35 वर्षीय पत्नी पद्मा मंडल का रो-रोकर बुरा हाल है।
मंडल जमाई षष्ठी के त्योहार में शामिल होने के लिए अपने ससुराल गए थे। उनको कॉल आई कि कुछ ग्राहक कपड़े खरीदने के लिए उनकी दुकान के सामने खड़े हैं, जिसके बाद वह वापस लौटे थे। पद्मा ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘तृणमूल से जुड़े कुछ स्थानीय लोगों ने मेरे पति पर हमला करने के लिए यह जाल बिछाया था। जैसे ही वह वापस लौटे, बाइकों पर सवार तृणमूल के लोग आए और उन्होंने दुकान में तोड़फोड़ की। जैसे ही मेरे पति घर से बाहर निकले, उन्होंने उन पर गोली चला दी। उन लोगों ने उन्हें खेतों में दौड़ाया और वहीं गोली मारकर हत्या कर दी।’
बता दें कि 40 साल के मंडल इलाके के एक सक्रिय बीजेपी कार्यकर्ता थे। वह कपड़ों की एक दुकान चलाते थे और मछली पालन का काम भी देखते थे। वह अपने पीछे मां, पत्नी, दो बच्चे और दो भाई छोड़ गए हैं। उनके छोटे भाई संदीप मंडल के मुताबिक, स्थानीय तृणमूल कार्यकर्ताओं ने शनिवार को उनके घर से करीब 200 मीटर की दूरी पर स्थित नोलकोरा जूनियर बेसिक प्राइमरी स्कूल में बूथ लेवल मीटिंग की थी। इसके बाद, वे क्षेत्र में पार्टी के झंडे लगाने लगे। संदीप ने आरोप लगाया, ‘हम बीजेपी के समर्थक हैं, इसलिए वे हम पर हमले के मकसद से ही आए थे। यहां हमारे सभी रिश्तेदारों ने बीजेपी का समर्थन किया है। उन्होंने तभी से हमले की योजना बनाई जब बूथ नंबर 56 पर बीजेपी को 150 वोटों की बढ़त मिल गई थी। पूरी घटना पुलिस अधिकारियों के सामने हुई।’
संदीप खुद को भाग्यशाली बताते हैं क्योंकि वह भी उस वक्त अपने ससुराल गए थे। उनके मुताबिक, तृणमूल ने जानबूझकर जमाई षष्ठी का वक्त चुना क्योंकि उस वक्त अधिकतर पुरुष घरों से दूर होते हैं। बता दें कि हिंसा में 23 साल के बीजेपी समर्थक सुकांत मंडल की भी जान गई है। सुकांत की छोटी बहन बिवा मंडल ने दोषियों के लिए कठोरतम सजा की मांग की है। बहन ने बताया कि सुकांत परिवार में इकलौते कमाने वाले थे। बिवा के मुताबिक, जब तृणमूल के लोग गोलियां चलाने लगे तो उनके भाई दूसरों की मदद के लिए बाहर निकले थे। उनका पीछा किया गया, इसलिए वह नजदीक के खेतों में भागे। बाद में उनके भाई की लाश खेतों में मिली।
बता दें कि इन लोगों के घर के बगल में ही 34 साल के देवदास मंडल का भी घर है, जो हिंसा के बाद से लापता बताए जा रहे हैं। देवदास की पत्नी सुप्रिया ने बताया कि बाहर गोलियां चलने के बाद उन्होंने अपने पति से बाहर न निकलने की मिन्नतें कीं। हालांकि, वह दूसरों के साथ बाहर गए। पत्नी के मुताबिक, उन्होंने खेतों में अपने पति पर हमला होते देखा। उनके मुताबिक, देवदास को लोग एक बोरी में भरकर ले गए। वहीं, यहां से 7 किमी दूर राजबाड़ी पूरबपाड़ा गांव है, जहां शनिवार को हुए हिंसा में तृणमूल कार्यकर्ता कईम मुल्ला की जान चली गई। कईम के पिता लियाकत अली का कहना है कि उनका बेटा बूथ कमेटी मीटिंग में शामिल होने बंगीपाड़ा गया था। उनके मुताबिक, जब उनका बेटा बंगीपाड़ा में पार्टी के झंडे लगा रहा था तो प्रदीप मंडल ने अपनी दुकान से उस पर गोली चलाई। बाद में धारदार हथियार से भी हमला किया गया। नईम की पांच महीने पहले ही शादी हुई थी।

