पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद स्थित सरकारी मेडिकल कालेज अस्पताल में शनिवार दोपहर आग लगने से एक नवजात समेत तीन लोगों की मौत हो गई। आग से फैले धुंए की वजह से दम घुटने और इससे मची अफरा-तफरी में कई मरीज घायल हो गए। घायलों में कम से कम 50 बच्चे भी शामिल हैं। पिछले सप्ताह भी एक सरकारी अस्पताल में आग लगी थी लेकिन तब किसी की मौत नहीं हुई थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, ने इस हादसे की जांच के लिए पूर्व स्वास्थ्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य की अगुआई में एक विशेष समिति का गठन किया है। उन्होंने इस हादसे पर पुलिस, स्वास्थ्य और फायर ब्रिगेड से अलग-अलग रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने इस हादसे में मरने वालों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए का मुआवजा देने का भी एलान किया है।
अस्पताल सूत्रों ने बताया कि आग दोपहर लगभग साढ़े 11 बजे पुरुष वार्ड में लगी। प्राथमिक अनुमान है कि यह आग एअर कंडीशनिंग यूनिट में शार्ट सर्किट की वजह से लगी। प्रधान स्वास्थ्य सचिव आरएस. शुक्ला ने बताया कि मरने वालों में अस्पताल का एक कर्मचारी और एक मरीज का परिजन शामिल है। प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है कि आपातकाल में बाहर निकलने वाले दरवाजे में ताला बंद होने की वजह से कई लोग समय पर बाहर नहीं निकल सके। इससे मरीजों में अफरा-तफरी मची और भगदड़ जैसी हालात पैदा हो गई। बाहर निकलने के प्रयास में कई लोग घायल हो गए। मरीजों के घरवालों ने आरोप लगाया कि अस्पताल में आग से बचाव का कोई इंतजाम नहीं था।
आग लगने के बाद हड़बड़ी में कई नवजात शिशुओं को भी अस्पताल के विशेष कक्ष से निकाल कर बाहर मैदान में सुला दिया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (स्वास्थ्य) एस. साहा ने बताया कि मालदा से एक विशेष मेडिकल टीम मौके पर पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि आग पर काबू पा लिया गया है और मरीजों को कोई खास चोट नहीं आई है। हादसे की जांच के लिए बनी समिति के सदस्य भी देर शाम मौके पर पहुंच गए। इससे पहले दिसंबर 2009 में महानगर के एक निजी अस्पताल में लगी भयावह आग में 70 से ज्यादा मरीजों और कर्मचारियों की मौत हो गई थी। इसके बाद सरकार ने तमाम निजी अस्पतालों में आग से सुरक्षा के इंतजाम पर खास ध्यान दिया था। लेकिन एक सप्ताह के भीतर दो सरकारी अस्पतालों में लगी आग से साफ है कि चिराग तले ही अंधेरा है। अब हादसे के बाद तमाम सरकारी तंत्र सक्रिय हो गया है।