पश्चिम बंगाल के आमों की खुशबू इस सीजन में यूरोप के बाजारों को महका रही है। राज्य में अबकी आम की बंपर पैदावार हुई है। आमों के गढ़ कहे जाने वाले मालदा में अबकी 3.75 मीट्रिक टन पैदावार हुई है जो सामान्य से डेढ़ गुनी है। पहले सिर्फ पड़ोसी बांग्लादेश को इनका निर्यात किया जाता था। लेकिन बांग्लादेश में आमों पर इंपोर्ट ड्यूटी 10 से बढ़ कर 50 फीसद होने के बाद इन आमों ने पहली बार संगठित तरीके से यूरोपीय बाजारों का रास्ता तलाश लिया है। इनमें हिमसागर, लंगड़ा और लक्ष्मणभोग किस्में शामिल हैं। हिमसागर और लक्ष्मणभोग को तो जीआई टैग मिला है। इस साल पहली बार लंगड़ा आम का भी निर्यात शुरू हो रहा है। राज्य की खाद्य प्रसंस्करण सचिव नंदिनी चक्रवर्ती बताती हैं कि यहां से फिलहाल इंग्लैंड, इटली, हालैंड, स्विट्जरलैंड, सऊदी अरब, हांगकांग और संयुक्त अरब अमीरात को आमों का निर्यात किया जा रहा है। राज्य सरकार एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथारिटी (एपेडा) के साथ मिल कर यह काम कर रही है। वे बताती हैं कि अब तक 25.54 टन आमों का निर्यात किया जा चुका है। मौजूदा सीजन में यह आंकड़ा बढ़ कर सौ टन तक पहुंचने की उम्मीद है। नंदिनी को उम्मीद है कि बंगाल इस साल आमों के निर्यात का नया रिकार्ड बना सकता है।
एपेडा के उप-महाप्रबंधक आर.के. मंडल बताते हैं कि कुछ ढांचागत खामियों और फलों व सब्जियों के निर्यात के लिए सीधे संपर्क का जरिया नहीं होने की वजह से अब तक बंपर पैदावार के बावजूद विदेशों में यहां के आमों का निर्यात नहीं हो पाता था। लेकिन इस साल 75 से 100 टन तक आमों के निर्यात की उम्मीद है। वे बताते हैं कि मालदा जिले में बने मैंगो ट्रीटमेंट प्लांट को केंद्रीय कृषि मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद आमों का निर्यात तेजी से बढ़ेगा। राज्य सरकार ने बेहतर किस्म के आमों को निर्यात के लिए तैयार करने की खातिर मालदा में एक हाट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है। यूरोपीय बाजारों में बिक्री के लिए आमों काहाट वाटर ट्रीटमेंट जरूरी है।मंडल का कहना है कि पहली बार बंगाल की ब्राडिंग के साथ यहां के आमों को संगठित तरीके से यूरोपीय बाजारों में भेजा जा रहा है। उनके मुताबिक पहले कुछ निजी कंपनियां पहले यूरोपीय बाजारों में आम भेजती रही हैं। लेकिन अब पहली बार यह काम थोक में संगठित तरीके से हो रहा है। ध्यान रहे कि देश से फल व सब्जियों के निर्यात के मामले में एपेडा ही नोडल एजंसी है।
नंदिनी बताती हैं कि इस साल आमों के निर्यात में 40 फीसद बढ़ोतरी हुई है। अभी यहां आम का सीजन खत्म नहीं हुआ है। वे बताती हैं कि यूरोपीय बाजारों में गुणवत्ता के मानक बेहद कठिन हैं। हम उन पर खरा उतरने का प्रयास कर रहे हैं। भारतीय आमों के निर्यात पर लगी पाबंदी हटने के बाद यहां से अब तक लगभग 25 टन आम यूरोप और मध्यपूर्व के बाजारों में भेजे गए हैं। अब सरकार लखनभोग आमों को समुद्री मार्ग से दुबई के बाजारों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है। यह आम जल्दी खराब नहीं होते। मंडल ने बताया कि जल्दी ही 10 टन लखनभोग आमों की पहली खेप मुंबई से समुद्री मार्ग से दुबई भेजी जाएगी। उन्होंने बताया कि कोलकाता से समुद्री मार्ग से दुबई भेजने में 15 दिनों का समय लग जाता है। इसलिए सीधे यहां से भेजना संभव नहीं है।

