पश्चिम बंगाल में गैंगरेप का शिकार हुई आदिवासी महिला ने पुलिस को दी शिकायत वापस नहीं ली तो गांव की पंचायत के कहने पर उसका और उसके परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। बात करना तो दूर, ग्रामीणों ने उसके परिवार को कुएं से पानी निकालने के लिए भी मना कर दिया। यह मामला यहां के बीरभूम जिले से जुड़ा है। 24 सितंबर को 30 वर्षीय पीड़िता मदद के लिए जिला मजिस्ट्रेट मॉमिता गोदरा बसु से मिली थी। उसने बताया कि ग्रामीण कुएं का पानी तक नहीं लेने दे रहे थे। दोपहर में वह एडिश्नल सुप्रीटेंडेंट सुबीमल पॉल से मिली और पुलिस से सुरक्षा की मांग की।

अगले दिन (25 सितंबर) को पुलिस गांव पहुंची। एक अधिकारी ने कहा, “ग्रामीण सामाजिक बहिष्कार के बारे में कुछ भी बताना नहीं चाह रहे हैं।” हालांकि, 26 तारीख को पुलिस ने पीड़िता के घर पर दो सिविक वॉलंटियर तैनात कर दिए, तब से उन लोगों को कुएं से पानी मिल रहा है। पर लोगों का बहिष्कार अभी भी जारी है। कोई भी उन लोगों से बात नहीं करता है।

पीड़िता का आरोप है कि पड़ोस के गांव के तीन लोगों ने 14 जुलाई को गैंगरेप किया। वह उस दौरान जंगल में पत्तियां तोड़ने गई थी। पीड़िता ने अगले दिन शिकायत दी, जबकि आरोपी 16 जुलाई को गिरफ्तार किए गए। पुलिस के मुताबिक, सूरी जिला अस्पताल में यौन शोषण की पुष्टि हुई। आगे 23 सितंबर को गांव की पंचायत में सुनवाई हुई।

पीड़िता के मुताबिक, “मैंने जब शिकायत वापस लेने से इन्कार कर दिया, तो पंचायत ने सभी से कह दिया कि कोई भी हमारे परिवार से बात न करे। जो भी हमसे बात करेगा, उस पर व हम पर पांच-पांच हजार रुपए का जुर्माना लगेगा।” महिला की शादी झारखंड निवासी शख्स से हुई थी। पर कुछ सालों से वह मायके में रह रही है। उसके भाई ने बताया, “सुबह से लेकर शाम तक गांव वाले हमारे घर पर नजरें गड़ाए रहते हैं। सबसे पहले हम कुएं से पानी लाते हैं।

गांव में रहने वाला रामेश्वर सोरेन ने पीड़िता के परिवार का सामाजिक बहिष्कार होने से साफ मना किया। उसने बताया, “गांव वालों ने बैठक बुलाई थी, पर उसमें कोई आदेश जारी नहीं किया गया।” हालांकि, सूरी में आदिवासी नेता सुनील सोरेन ने गैंगरेप पीड़िता व उसके परिवार को लेकर किए गए सामाजिक बहिष्कार पर पुष्टि जताई।

डीएम ने कहा, “ब्लॉक डेवलेपमेंट अधिकारियों को उचित कदम उठाने के लिए कहा गया है। हम सुनिश्चित कराएंगे कि गांव में किसी महिला को परेशानी का सामना न उठाना पड़े।” पर पीड़िता के भाई का कहना है कि वे लोग अभी भी इस डर में रहने को मजबूर हैं कि कहीं पुलिस व प्रशासन उसने इसका बदला न ले ले।