पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में स्थानीय बसों में इन दिनों बस कंडक्टर तो यात्रियों को टिकट दे ही रहे हैं, साथ ही कुछ अन्य लोग भी यात्रियों के हाथों में टिकट थमा रहे हैं, वह भी फ्री में! मगर ये टिकट बसों में यात्रा करने के लिए नहीं हैं, बल्कि यात्रा नहीं करने के लिए है। शायद आपको यह पढ़ कर हैरानी हुई होगी लेकिन यह सच है। बस टिकट के अलावा यात्रियों को जो टिकट मिल रहा है, उनमें लिखा है- बासेना चड़ार टिकिट (बस में नहीं सवार होने का टिकट)।
इस टिकट में लिखी इबारतों को ध्यान से पढ़ेंगे, तो समझ में आएगा कि टिकट वितरण का उद्देश्य क्या है। दरअसल अगले हफ्ते पश्चिम बंगाल में होने वाली आम हड़ताल को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए टिकट की शक्ल में सूचनाएं पहुंचाई जा रही हैं। आनंद बाजार पत्रिका के मुताबिक, फिलहाल जादवपुर और मिदनापुर में यह अनोखा प्रचार चल रहा है और आने वाले दिनों में राज्य के दूसरे हिस्सों में भी इसे शुरू किया जाएगा।
क्या लिखा है टिकट में- टिकट का आकार और बनावट बिल्कुल बस के टिकटों जैसा ही है। मसलन टिकट के दोनों किनारों पर कुछ नंबर लिखे हुए हैं, जैसा कि टिकटों में लिखे होते हैं। टिकट के बिल्कुल ऊपर बांग्ला में लिखा हुआ है- बासे ना चड़ार टिकिट (बस में नहीं चढ़ने का टिकट)। टिकट के बीच में लिखा हुआ है- चाई सबार शिखा सबार काज (चाहिए सबको शिक्षा और सबको रोजगार)। इसके बाद आम हड़ताल के बारे में जानकारी दी गई है। अनोखे तरीके का यह प्रचार वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की ओर से किया जा रहा है।
कब और क्यों की जा रही हड़ताल- ट्रेड यूनियनों की तरफ से आगामी 8 और 9 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल बुलाई गई है। यह हड़ताल शिक्षा और रोजगार की मांग को लेकर है और केंद्र सरकार के खिलाफ है। वामपंथी ट्रेड यूनियनें भी शामिल हो रही हैं। एसएफआई के नेताओं ने कहा कि हड़ताल के दिन बस न चले और लोग हैरान-परेशान न हों, इसलिए इस तरह का प्रचार शुरू किया गया है। एसएफआई के राज्य सचिव सृजन भट्टाचार्य ने कहा कि टिकट देकर हमलोग आम नागरिकों से अपील कर रहे हैं कि इस हड़ताल में वे हमारा सहयोग करें। साथ ही बस चालकों को भी हम जागरूक कर रहे हैं । (स्टोरी सौजन्य- उमेश कुमार)