पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने राज्य के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त सेकेंडरी स्कूलों के शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए एक आचार संहिता तैयार की है। इसमें उनके लिए क्या करें और क्या नहीं करें, कॉलम के तहत कई बातें कही गर्इं हैं। इसमें कहा गया है कि शिक्षकों को ऐसी किसी हिंसक, घृणित और अलगाववादी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए जिससे दूसरों में उनके धर्म, जाति, लिंग, संप्रदाय और पेशे के आधार पर असंतोष पैदा हो। इसमें शिक्षकों और दूसरे कर्मचारियों से स्कूल परिसर के अलावा बाहर भी आपसी सम्मान का माहौल बनाए रखने को कहा गया है। इसके अलावा आचार संहिता में शिक्षकों पर सरकारी अनुमोदन वाले स्कूलों में नौकरी के दौरान कोई निजी व्यापार करने, रुपए के लेन-देन का काम करने या पुस्तकें लिखने तक पर पाबंदी लगा दी गई है। इसमें परीक्षा के दौरान शिक्षकों का ड्यूटी पर आना भी अनिवार्य कर दिया गया है। संहिता में कहा गया है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले कमर्चारियों के निलंबन से लेकर बर्खास्त करने या पेंशन रोकने तक का फैसला किया जा सकता है।

आचार संहिता में कहा गया है कि हर शिक्षक व गैर-शिक्षण कर्मचारी को छात्रों और उनके अभिभावकों के साथ भी सम्मानजनक रवैया अपनाना होगा। राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में इसका मसौदा प्रकाशित किया था। अब सरकारी अधिसूचना के जरिए इस आचार संहिता को अमलीजामा पहनाया गया है। अधिसूचना में कहा गया है कि छात्रों को भी इसका पालन करना होगा। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कोई भी शिक्षक अभिभावकों की अनुमति के बिना छुट्टी के दिन छात्र को किसी निजी कार्यक्रम में नहीं बुला नहीं सकता है। स्कूल के दौरान भी शिक्षक को स्कूल के प्राचार्य से इसकी अनुमति लेनी होगी। स्कूल में किसी भी बच्चे से धर्म, जाति, लिंग या समुदाय के आधार पर भेदभाव करना आचार संहिता का उल्लंघन होगा।

इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर शराब या सिगरेट पीने संबंधित किसी नियम के उल्लंघन की स्थिति में स्कूल प्रबंधन को संबंधित शिक्षक को सजा देने का अधिकार है। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अगर छुट्टी के दिन कहीं किसी निजी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है तो शिक्षक अभिभावकों की अनुमति के बिना छात्रों को उसमें हिस्सा लेने के लिए नहीं कह सकते। अगर स्कूल चलने के दौरान ऐसा कोई कार्यक्रम हुआ तो उसके लिए संबंधित स्कूल के प्रिंसिपल से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।

इस आचार संहिता की शुरुआत में कहा गया है कि कोई भी शिक्षक या गैर-शिक्षण कर्मचारी ऐसा कोई काम नहीं करेगा जो उसके पद की गरिमा के प्रतिकूल हो और जिससे संस्थान की छवि पर नकारात्मक असर पड़े। तमाम शिक्षकों के लिए इस आचार संहिता का कड़ाई से पालन अनिवार्य कर दिया गया है। इसके उल्लंघन की स्थिति में उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर किसी शिक्षक के खिलाफ कोई शिकायत मिलती है तो राज्य सेकेंडरी शिक्षा बोर्ड उसकी जांच के लिए सब-इंस्पेक्टर आफ स्कूल्स स्तर के अधिकारी की नियुक्ति करेगा। आचार संहिता में कहा गया है कि हर शिक्षक व गैर-शिक्षण कर्मचारी को छात्रों और उनके अभिभावकों के साथ भी सम्मानजनक रवैया अपनाना होगा। राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में इसका मसौदा प्रकाशित किया था। अब सरकारी अधिसूचना के जरिए इस आचार संहिता को अमलीजामा पहनाया गया है।