पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वीरेंद्र का ताबदला किया गया है। उनके जगह निरंजयन को पद की नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। मुख्य चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को इस संबंध में निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया कि वीरेंद्र को चुनाव संबंधी कोई भी जिम्मेदारी ना दी जाए जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चुनावों से जुड़ा हो।

आयोग का फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। मामले में मुख्य सचिव कल सुबह (10 मार्च, 2021) को मुख्य चुनाव आयोग के आदेश को अमल में लाने की जानकारी देंगे। राज्य में चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के बाद ये फैसला किया गया। पत्र में कहा गया, ‘आयोग को कल (बुधवार) सुबह 10 बजे तक अनुपालन के बारे में जानकारी दी जाए।’ पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में मतदान की शुरूआत 27 मार्च को होगी और चुनाव 29 अप्रैल को संपन्न होंगे।

आयोग ने हाल में जावेद शमीम को पश्चिम बंगाल के एडीजी (कानून-व्यवस्था) पद से हटा दिया था और उनके स्थान पर जगमोहन की तैनाती की थी। बीते शुक्रवार को चुनाव आयोग ने विशेष पर्यवेक्षक के रूप में अजय नायक को और विवेक दुबे को पुलिस पर्यवेक्षक के रूप में कोलकाता भेजा था। दोनों पर्यवेक्षकों ने बंगाल विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की। जिसके बाद डीजीपी वीरेंद्र के हटाने का आदेश आया है।

सूत्रों के अनुसार कई राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से डीजीपी वीरेंद्र की शिकायत की थी। राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया था कि वीरेंद्र सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के प्रति झुकाव रखते हैं। वीरेंद्र 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वही वीरेंद्र की जगह डीजीपी नियुक्त किए गए आईपीएस पी निरंजयन 1987 बैच के हैं।

बता दें कि राजनीतिक गलियारों में हमेशा इस बात की चर्चा रहती है कि ममता अपने चहेते आईपीएस अधिकारियों के लिए कुछ भी कर सकती है। साल 2019 में ममता बनर्जी एक अधिकारी को बचाने के लिए धरने पर भी बैठ गई थी। फरवरी 2019 में बंगाल में हुए सारदा घोटालों की जांच के लिए सीबीआई कोलकाता के तत्कालीन पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ के लिए गई थी लेकिन कोलकाता पुलिस ने सीबीआई की टीम को ही हिरासत में ले लिया था। इतना ही नहीं ममता बनर्जी राजीव कुमार के आवास पर पहुंच गई थीं और अधिकारियों के साथ बैठक के बाद धरने पर बैठ गई थी। जिसके बाद सीबीआई को बैरंग लौटना पड़ा था।