Written by Kiran Parashar

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार (10 मई, 2023) को वोटिंग के बाद अब सबकी नजरें नतीजों पर टिकी हैं। उससे पहले एग्जिट पोल भी आने शुरू हो गए हैं, जिसके मुताबिक, भाजपा के लिए स्थिति अच्छी नहीं है। इस बीच कर्नाटक में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा वोटरों को लुभाने के लिए चिकन और साड़ियां बांटने का मामला सामने आया है। के आर पेट विधानसभा क्षेत्र के बूकानाकेरे के गंजीगेरे के ग्रामीणों ने दावा किया कि उन्हें भाजपा कार्यकर्ताओं ने लुभाने के लिए उपहार बांटे थे, जिन्हें वह जिले के एक स्थानीय भाजपा नेता के दरवाजे पर फेंक आए।

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बुधवार की सुबह ग्रामीणों को भाजपा नेता के दरवाजे पर चिकन और साड़ी फेंकते हुए देखा गया। यह घटना कैमरों में कैद हो गई। इस दौरान उन्होंने भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की और कहा ‘धिक्कार है’। हालांकि, चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि उन्हें इसकी कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन वे इस मामले की जांच करेंगे। एक ग्रामीण ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी को वोट देने के लिए उन्हें चिकन और साड़ी देकर लालच देने की कोशिश की। यह क्षेत्र अनुसूचित बहुल है। उनका कहना है कि जब लोगों ने भाजपा कार्यकर्ताओं से यह उपहार लेने से मना किया, तो वह इसे उनके दरवाजे पर रखकर चले गए।

ग्रामीण ने बताया कि उन्होंने फैसला किया कि वह इसे नहीं रखेंगे और और जिसे वह चाहते हैं उसको वोट देंगे। एक अन्य ग्रामीण ने कहा कि कुछ लोगों ने उपहार लिया, लेकिन कल सुबह एक स्थानीय कांग्रेस नेता उनके पास आए और इसके बारे में पूछा, जिसके बाद लोगों ने ये उपहार वापस करने का मन बना लिया।

गंजीगेरे गांव के एक वकील लोकेश जी जे ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ग्रामीण यह दिखाना चाहते थे कि वे भाजपा को वोट नहीं देंगे। उन्होंने कहा, “लगभग 2 बजे, भाजपा उम्मीदवार नारायण गौड़ा के समर्थक गांव में आए और मतदाताओं को चिकन, पैसे और साड़ी बांटकर लुभाने की कोशिश की। ग्रामीणों ने कुछ भी लेने से मना कर दिया। फिर तड़के 3 से 4 बजे के बीच गौड़ा के समर्थकों ने ये सामान घरों के बाहर रख दिया। गुस्से में, ग्रामीणों ने एक स्थानीय भाजपा नेता के घर पर उपहार फेंक दिए, जबकि उनमें से कुछ ने उन्हें नदी में फेंक दिया … इसके बाद, सभी ने अपनी इच्छा के अनुसार मतदान किया और यह सब शांतिपूर्ण रहा।”

एससी के अलावा, गंजीगेरे में अच्छी खासी कुरुबा आबादी भी रहती है, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री के दावेदार सिद्धारमैया के साथ सामुदायिक संबद्धता साझा करते हैं। के आर पेट कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। 2013 और 2018 में यह सीट जेडी (एस) के के सी नारायण गौड़ा ने जीती, लेकिन गौड़ा उन 17 विधायकों में थे, जिन्होंने 2019 में सरकार बनाने में मदद करते हुए इस्तीफा दे दिया और भाजपा में चले गए।

गौड़ा द्वारा खाली की गई के आर पेट सीट को भरने के लिए हुए 2019 के उपचुनाव में उन्होंने फिर से जीत हासिल की थी। इस चुनाव में वह भाजपा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे थे। उन्होंने जेडी (एस) के बी एल देवराज को हराया था। के आर पेट से बीजेपी की यह पहली जीत थी। इस बार के विधानसभा चुनावों से पहले ऐसी चर्चा थी कि गौड़ा फिर से कांग्रेस में जा सकते थे, लेकिन येदियुरप्पा ने भाजपा में ही रहने के लिए मना लिया। इस बार कांग्रेस ने बी एल देवराज को मैदान में उतारा है, जबकि जेडी (एस) ने एच टी मंजू को मैदान में उतारा है।